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लोकसभा (फाइल फोटो। Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। इस बार संसद का मानसून सत्रहंगामे, वॉकआउट और बार-बार स्थगन के नाम रहा। एसआईआर, ऑपरेशन सिंदूर और भारत- पाक सीजफायर जैसे मुद्दों पर सरकार और विपक्ष में संघर्ष होता रहा और सदन में नियमित रूप से कार्यवाही नहीं हो सकी, हालांकि लगातार विपक्षी विरोध और व्यवधान के बावजूद लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 14 महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ था और लगभग हर दिन विपक्ष की मांगों और हंगामों के चलते प्रभावित रहा।
विपक्ष का हंगामा और चर्चा की मांग
सत्र की शुरुआत में विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया। इसके बाद बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर बहस की मांग ने कार्यवाही को और बाधित कर दिया। नतीजतन, कई दिनों तक सदन में नारेबाजी और वॉकआउट ही होते रहे। मानसून सत्र के अंतिम दिन भी संसद में हंगामा बरकरार रहा। गुरुवार को मौजूदा संसद सत्र का आखिरी दिन था हालांकि हंगामे के कारण सत्र के आखिरी दिन भी लोकसभा और राज्यसभा दोनों की ही कार्यवाही बाधित हुई। राज्यसभा और लोकसभा दोनों में ही प्रश्नकाल नहीं चल सका और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा में पारित हुए 12 अहम विधेयक
लोकसभा ने जिन 12 विधेयकों को मंजूरी दी उनमें शामिल हैं:
- गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व से जुड़ा बिल
- मर्चेंट शिपिंग बिल
- मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक
- मणिपुर विनियोग विधेयक
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक
- राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक
- आयकर विधेयक
- टैक्सेशन लॉज (संशोधन) बिल
- भारतीय बंदरगाह विधेयक
- खनन एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक
- आईआईएम संशोधन विधेयक
- ऑनलाइन गेमिंग नियमन विधेयक
राज्यसभा ने भी 14 विधेयक किए पारित
राज्यसभा में जिन 14 विधेयकों को मंजूरी या वापस भेजा गया उनमें शामिल हैं:
- बिल्स ऑफ लेडिंग बिल
- कैरिज ऑफ गुड्स बाय सी बिल
- कोस्टल शिपिंग बिल
- मणिपुर से जुड़े दो विधेयक
- मर्चेंट शिपिंग बिल
- गोवा प्रतिनिधित्व संशोधन विधेयक
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक
- राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक
- आयकर विधेयक
- टैक्सेशन लॉज संशोधन बिल
- भारतीय बंदरगाह विधेयक
- खनन एवं खनिज संशोधन विधेयक
- आईआईएम संशोधन विधेयक
सरकार का विपक्ष पर आरोप
सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने लगातार हंगामा कर चर्चा का अवसर गंवा दिया। परिणामस्वरूप, कई अहम विधेयक विपक्ष की सक्रिय भागीदारी के बिना ही पारित हो गए। राज्यसभा में केवल बिल्स ऑफ लेडिंग बिल ही पहले दिन बिना व्यवधान पारित हो सका। बाकी विधेयक हंगामे, आंशिक बहस और विपक्ष के वॉकआउट के बीच ही पास हुए। सरकार का कहना है कि विपक्ष का रवैया लोकतांत्रिक विमर्श को कमजोर करता है।
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