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Photograph: (File)
दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजे आ चुके हैं और 27 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद भाजपा पूर्ण बहुमत पाने में सफल रही है। चुनाव में कई मुद्दे आए और जोरशोर से उठाए गए। इनमें यमुना नदी से जुड़े मुद्दों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, मतदाताओं की भावना को नया आकार दिया और आम आदमी पार्टी (आप) को हराकर सत्ता में वापसी करने में भाजपा की मदद की। माना जा रहा है कि दिल्ली में हरियाणा मूल के मतदाताओं की संख्या काफी है। जिनकी चर्चा बहुत कम होती है और चुनाव मुख्यत पूर्वांचलियों और झुग्गी-झोपड़ी तक सिमट जाता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बार बदलाव का एक मुख्य कारण हरियाणवी मूल के मतदाताओं की प्रतिक्रिया है, जिन्होंने यमुना के प्रदूषण पर आम आदमी पार्टी के बयान को अपने गृह राज्य पर हमला माना।
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भाजपा ने हरियाणा मूल के 14 उम्मीदवार उतारे थे
भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में, 48 सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने हरियाणवी मूल के 14 उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 12 विजयी हुए। जबकि, आप के 10 उम्मीदवार थे, लेकिन केवल चार ही जीत पाए। 10 प्रतिशत से अधिक जाट मतदाताओं वाले 13 निर्वाचन क्षेत्रों में, भाजपा ने 11 सीटें हासिल कीं, जो 2020 से एक बड़ा उलटफेर है। भाजपा ने हरियाणा की सीमा से लगी 11 में से नौ सीटों पर जीत हासिल की। दिल्ली में 52 किलोमीटर की दूरी तय करने और 15 निर्वाचन क्षेत्रों से गुजरने वाली यमुना लंबे समय से पर्यावरणीय उपेक्षा का प्रतीक रही है।
यमुना के जहरीले पानी की बयान महंगा पड़ा
केजरीवाल ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि वह यमुना को साफ करेंगे। हर साल, जब नदी में झाग की मोटी परत जम जाती है, खासकर छठ पर्व पर जब लोग घाटों पर पूजा करते थे, तो आप सरकार को अपने अधूरे वादे की याद आती थी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक्स पर लिखा, जब वे (केजरीवाल) यमुना को साफ करने में विफल रहे, तो उन्होंने कहा कि हरियाणा में इसका पानी जहरीला किया जा रहा है। यह बयान उन्हें बहुत महंगा पड़ा है। उन्होंने यदि ऐसा बयान नहीं दिया होता, तो उनकी पार्टी 5-7 सीटें अधिक जीतती।
"मैंने चुनाव प्रचार के दौरान संकल्प लिया था कि हम यमुनाजी को दिल्ली की पहचान बनाएंगे...चाहे कितना भी समय लगे, चाहे जितनी भी ऊर्जा लगे, लेकिन अगर संकल्प मजबूत है, तो यमुनाजी का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।" प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (दिल्ली में जीत के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधन में)
केजरीवाल ने हरियाणा के लोगों का अपमान किया
खट्टर ने को कहा, 'दिल्ली के 40 प्रतिशत से अधिक निवासी हरियाणा से हैं। (केजरीवाल के) इस बयान ने हरियाणा और दिल्ली के लोगों का अपमान किया है। वर्ष 2020 में आप ने यमुना से लगे इलाकों में अपना दबदबा बनाया था और 15 में से 13 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार भाजपा ने उनमें से नौ सीटें जीत लीं। ‘आप’ की कुल सीटें 62 से घटकर 22 रह गईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद शनिवार को कहा था, "मैंने चुनाव प्रचार के दौरान संकल्प लिया था कि हम यमुनाजी को दिल्ली की पहचान बनाएंगे...चाहे कितना भी समय लगे, चाहे जितनी भी ऊर्जा लगे, लेकिन अगर संकल्प मजबूत है, तो यमुनाजी का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।"
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यमुना की सफाई पर राजनीतिक दलों के दावे
आम आदमी पार्टी : दिल्ली में पिछले दस साल से सत्ता में बनी हुई आम आदमी पार्टी ने इस बार जनता से 15 बड़े वादे किए हैं और इन्हें केजरीवाल की गारंटी नाम दिया है। इनमें छठवें नंबर पर यमुना को साफ करने की गारंटी दी गई है। साफ हवा और कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने से जुड़ी कोई गारंटी नहीं दी गई है। वहीं, विपक्ष का कहना है कि केजरीवाल ने 2015 में कहा था कि पांच साल के भीतर यमुना नदी को साफ कर दिया जाएगा, लेकिन नौ साल बाद भी यमुना की हालत नहीं सुधरी है।
कांग्रेस: पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 26 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया है। इसमें 21वें पन्ने पर वायु, जल और भूमि प्रदूषण से जुड़े वादे किए गए हैं। इनमें यमुना नदी को साफ करने और उसके तटों पर से अतिक्रमण हटाने का वादा किया गया है। कचरे से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए हरित पुलिस स्टेशन बनाने की बात कही है। इसके अलावा, कूड़ा-कचरा जलाने वालों पर जुर्माना लगाने का वादा भी किया है।
भाजपा: ने दिल्ली चुनावों के लिए 64 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया है। इसमें यमुना नदी को साफ करने, कचरे के पहाड़ों को खत्म करने और 2030 तक औसत एक्यूआई को आधा करने का वादा किया है। यह भी बताया है कि इन वादों को कैसे पूरा किया जाएगा। जैसे, नालों के पानी को यमुना में छोड़ने से पहले ट्रीट करने की बात कही है। सूखे और गीले कचरे को इकट्ठा करने और उसके प्रबंधन के लिए व्यवस्था करने का वादा किया है।