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Rahul Gandhi के “वोट चोरी” नैरेटिव को हवा दे रहा विदेशी मीडिया, जानें BBC-अल जजीरा ने क्या कहा?

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों को विदेशी मीडिया ने उठाया। अल जज़ीरा, BBC, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। जानें चुनाव आयोग का क्या है जवाब।

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Dhiraj Dhillon
Protest on SIR file Photo

File Photo Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों कथित ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर लगातार सियासी हमला बोल रहे हैं। उनका आरोप है कि BJP सरकार और चुनाव आयोग (ECI) बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के जरिए विपक्षी वोट काट रही है। अब इस मुद्दे पर विदेशी मीडिया भी सुर में सुर मिलाते हुए भारत की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है। विदेशी मीडिया राहुल गांधी के “वोट चोरी” नैरेटिव को जमकर हवा दे रहा है।

Protest on SIR file Photo1
File Photo Photograph: (Google)

जानें विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स में क्या कहा गया?

अल जजीरा, BBC, वॉशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और ABC न्यूज ने हालिया रिपोर्ट्स में तीन बड़े आरोप लगाए:
  • 1. भारत सरकार अल्पसंख्यकों और गरीब तबकों को पहचान के नाम पर परेशान कर रही है।
  • 2. वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर विपक्ष का वोट बैंक काटा जा रहा है।
  • 3. मोदी सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।
अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि भारत में करीब आठ करोड़ लोगों को NRC जैसी प्रक्रिया से वोटिंग अधिकार साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने पड़ रहे हैं। रिपोर्ट में खासतौर पर मुस्लिम और प्रवासी मजदूरों पर असर का दावा किया गया।
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Protest on SIR file Photo2
File Photo Photograph: (Google)

चुनाव आयोग और सरकार का जवाब

  • चुनाव आयोग ने इन दावों को पूरी तरह खारिज किया है। आयोग का कहना है:
  • हर 5 साल में वोटर लिस्ट रिवीजन किया जाता है।
  • इसका मकसद फर्जी वोट हटाना और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना है।
  • यह किसी नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया (NRC) नहीं, बल्कि वोटर लिस्ट की सफाई है।
  • किसी भी नागरिक का नाम बिना ठोस कारण हटाया नहीं जा सकता।

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और असलियत

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन में जल्दबाजी की गई, जिससे दस्तावेजों की कमी और तकनीकी गड़बड़ियाँ हुईं।लेकिन हकीकत यह है कि SIR प्रक्रिया नई नहीं है। हर जिले में समान नियम लागू होते हैं और नाम केवल उन्हीं का हटता है जो,दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हों, डुप्लीकेट एंट्री होंया फिर जिनका निधन हो चुका हो।
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