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भोपाल, वाईबीएन डेस्क: भाजपा की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने शनिवार को भोपाल सत्र न्यायालय में जमानत की शर्तों के तहत सुरक्षा संबंधी औपचारिकताएं पूरी कीं। कोर्ट से बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तारी के दौरान उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
इन नेताओं का नाम लेने का था दबाव
साध्वी प्रज्ञा ने दावा किया कि जांच के दौरान उन पर पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के नाम लेने का दबाव डाला गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने कहा कि अगर वह इन नेताओं का नाम लेंगी, तो उन्हें नहीं मारा जाएगा। उनका यह बयान 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में NIA की विशेष अदालत द्वारा सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने के कुछ ही दिनों बाद आया है। अदालत ने 31 जुलाई 2025 को दिए गए 1036 पन्नों के विस्तृत फैसले में कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं कर सका। हालांकि, इस फैसले में प्रज्ञा ठाकुर द्वारा लगाए गए नए आरोपों का कोई उल्लेख नहीं है।
तत्कालीन यूपीए सरकार की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि मैंने उन सभी अधिकारियों के नाम लिखित में दिए हैं जिन्होंने मुझ पर दबाव डाला। वे मुझसे कहते रहे कि अगर इन नेताओं का नाम नहीं लिया, तो जान से मार देंगे।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सब कुछ तत्कालीन यूपीए सरकार की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य भगवा विचारधारा और सैन्य प्रतिष्ठानों को बदनाम करना था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह मेरी नहीं, सनातन की जीत है। कांग्रेस कभी राष्ट्रवादी पार्टी नहीं हो सकती। वह धर्मविरोधी है और आतंकवादियों को संरक्षण देती है।
झूठ बोलने से इनकार कर दिया
पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, तत्कालीन एसीपी परमबीर सिंह और अधिकारी सुखविंदर सिंह पर भी साध्वी ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों ने उनसे झूठे बयान देने को कहा, लेकिन उन्होंने झूठ बोलने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाके में छह लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। करीब 17 साल तक चले इस मुकदमे में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर सका।