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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। देश की सर्वोच्च अदालत ने उप्र के सहारनपुर जिले में किराए के मकानको खाली करने के आदेश की जानबूझकर अवमानना करने पर एक व्यक्ति को कारावास की सजा सुनाई। यह पहला मामला है, जब किराएदार को जेल की हवा खानी पड़ी है। कोर्ट ने दो व्यक्तियों को मकान खाली करने के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का दोषी ठहराया गया था।
तीन माह के कारावास की सजा
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने अवमानना करने वाले को तीन महीने के कारावास की सजा सुनाई और अधिकारियों को उसे हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेजने का निर्देश दिया। यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश से उत्पन्न हुआ है जिसमें किराया नियंत्रण प्राधिकरण के किरायेदारों/अवमानना करने वालों को बेदखल करने के निर्देश को बरकरार रखा गया था।
एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश
अवमानना करने वाले को दो महीने के भीतर 'सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी' को एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का भी आदेश दिया गया। ऐसा नहीं करने पर उसे एक महीने की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी। पीठ ने कहा, "अवमानना करने वाले दोनों इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का जानबूझकर पालन न करने तथा रिकॉर्ड के विपरीत बार-बार गलत और भ्रामक बयान देने का प्रयास करने के दोषी हैं।" : court | civil court | court decision | Court contempt | supreme court