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Sambhal violence: जानिए क्या है पाकिस्तानी कनेक्शन, दुबई और अमेरिका से भी जुड़े तार

शारिक शाटा के संबंध डी कंपनी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी हो गए थे। इन्हीं संबंधों के बल पर शाटा भारत के कानून से बचने के लिए फर्जी पासपोर्ट के सहारे दुबई भाग गया था।

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Dhiraj Dhillon
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Gulam

Photograph: (Google)

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संभल, वाईबीएन नेटवर्क।

24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा के आरोपी गुलाम की गिरफ्तारी से एक के बाद एक, बड़े खुलासे हो रहे हैं। संभल पुलिस द्वारा गुलाम से की गई पूछताछ में जहां उसने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की हत्या की प्लानिंग का खुलासा किया है वहीं उसने यह भी बताया इस हिंसा की साजिश के पीछे दुबई में बैठा उसका बॉस शारिक शाटा, पाकिस्तान में बैठे डी कंपनी के आकाओं से संपर्क में था और शारिक शाटा के इशारे पर ही उसके अन्य गुर्गों के साथ मिलकर गोलीबारी की थी। इस मामले में पांच लोगों की हत्या हुई थी। पुलिस के मुताबिक गुलाम ने खुद भी गोली चलाई थी और मौके से दुबई व अमेरिका में बने कारतूस मिले थे।

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मूल रूप से संभल का रहने वाला है मास्टर माइंड

दुबई में बैठा संभल हिंसा का मास्टर माइंड शारिक शाटा मूलरूप से संभल का रहने वाला है। वह पहले दिल्ली एनसीआर में वाहन चोरी के एक बड़े मामले में पकड़ा जा चुका है। उसके बाद वह जरायम की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया और अब दुबई में बैठकर यही सब काम करता है। पुलिस के हत्थे चढ़े गुलाम ने बताया कि वह शारिक शाटा के इशारे पर ही वाहन चोरी और हथियारों की खरीद फरोख्त करता है और संभल हिंसा के पीछे उन लोगों का मकसद अपने इसी धंधे को आगे बढ़ाना था। गुलाम के खिलाफ संभल के अलग- अलग थानों में गैंगस्टर समेत 20 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं।

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फर्जी पासपोर्ट से दुबई भाग गया था शाटा

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पुलिस के मुताबिक शारिक शाटा पर दिल्ली एनसीआर से 300 से अधिक कारें चोरी करने का आरोप है। बाद में उसके संबंध डी कंपनी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी हो गए थे। अपने इन्हीं संबंधों के बल पर शाटा भारत क‌े कानून से बचने के लिए फर्जी पासपोर्ट के सहारे दुबई भाग गया था, अब वह दुबई में बैठकर भारत में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिलवाता है।

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शारिक शाटा चाहता था कि मस्जिद का सर्वे रोका जाए

गुलाम ने पूछताछ के दौरान यह भी बताया है शारिक शाटा किसी भी कीमत पर मस्जिद का सर्वे पूरा नहीं होने देना चाहता था, उसे यह भी पता था कि इस मुद्दे पर संभल में अच्छी खासी भीड़ जुट जाएगी, हुआ भी वही। शाटा चाहता था कि इस विवाद की आड़ में अधिवक्ता विष्ण शंकर जैन की हत्या कर दी जाए तो हिंसा रोके से नहीं रुकेगा और हथियारों की डिमांड बढ़ जाएगी।

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कौन हैं एडवोकेट विष्णु शंकर जैन

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन पिछले 14 वर्षों हिंछू धार्मिक स्थलों की कानूनी लड़ाई लड़ने में आगे रहते हैं। श्रीराम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी और शाही जामा मस्जिद जैसे प्रमुख मामलों में  एडवोकेट विष्णु शंकर जैन अपने पिता हरिशंकर जैन के साथ मिलकर 100 से अधिक धार्मिक मामलों में निःशुल्क पैरवी कर चुके ह‌ैं। बनारस से  2010 में कानून की डिग्री प्राप्त करने वाले एडवोकेट विष्णु शंकर जैन काफ कम उम्र में बड़ा नाम कमा चुके हैं।

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