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Supreme Court Photograph: (Google)
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ बैठक की, जिसमें रिक्त पदों को भरने, उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति और सायंकालीन अदालत की स्थापना से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। यह बैठक राज्य न्यायपालिका के समक्ष आने वाले मुद्दों पर विचार करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के एक दिन बाद आयोजित की गई।
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उच्चतम न्यायालय प्रशासन ने जारी प्रेस नोट में कहा, राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों, वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की बैठक हुई। विज्ञप्ति में कहा गया, उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों को भरने, उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति और सायंकालीन अदालतों की स्थापना से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। 30 जनवरी को, 18 लाख से अधिक आपराधिक मामलों के लंबित रहने पर विचार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुमति दे दी थी, जो न्यायालय की कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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पीठ ने उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति पर शीर्ष अदालत द्वारा 20 अप्रैल, 2021 के अपने फैसले में लगाई गई कुछ शर्तों में ढील दी थी और उन्हें स्थगित कर दिया था। विज्ञप्ति में कहा गया कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के साथ-साथ जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों ने भी आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में मामलों के निस्तारण में आने वाली बाधाओं की पहचान करने और विभिन्न स्तरों पर लंबित मामलों की संख्या को कम करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। शीर्ष अदालत प्रशासन ने एक विज्ञप्ति में कहा, इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य न्यायपालिका, विशेष रूप से जिला अदालतों में विभिन्न हितधारकों और पदाधिकारियों के साथ सार्थक बातचीत करना था, ताकि उनके सामने मौजूद चुनौतियों को समझा जा सके और उसके बाद उनसे निपटने के लिए एक योजना तैयार की जा सके।
सम्मेलन में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें राज्य न्यायपालिका के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले विविध विषयों पर चर्चा की गई। इन तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने की। इसमें कहा गया है कि पहले सत्र में मामलों के निपटारे और संस्थान के बीच की खाई को कम करने के तरीकों, मामलों के निपटारे में आने वाली बाधाओं की पहचान करने और विभिन्न स्तरों पर लंबित मामलों को कम करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
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