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आवारा कुत्तों को लेकर Supreme Court का सख्त रुख, गांधी परिवार हुआ एकजुट

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के खतरे को देखते हुए उन्हें आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। इस मुद्दे पर गांधी परिवार ने अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एकजुट होकर पशु कल्याण और जन सुरक्षा के संतुलन की वकालत की है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍कदेश में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और इससे उत्पन्न हो रहे खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करें। कोर्ट ने यह कदम आम नागरिकों की सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद्देनजर उठाया है।दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों एलएनजेपी, सफदरजंग और आरएमएल में कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक रूप से वृद्धि देखी जा रही है। इन अस्पतालों में रोज़ाना सैकड़ों लोग एंटी-रेबीज टीका लगवाने पहुंच रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है।

राजनीतिक मतभेदों के बावजूद गांधी परिवार एकजुट

इस मुद्दे पर एक दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम भी सामने आया है। आमतौर पर राजनीतिक मतभेदों के लिए जाने जाने वाले गांधी परिवार राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मेनका गांधी और वरुण गांधी इस विषय पर एकजुट नज़र आए हैं। उन्होंने आवारा कुत्तों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसे मानवता और पशु कल्याण दोनों से जुड़ा मुद्दा बताया है। यह गांधी परिवार के भीतर एक दुर्लभ सामूहिक रुख है, जो आमतौर पर विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े होने के कारण सार्वजनिक रूप से एकजुट नहीं दिखते।

नसबंदी और देखभाल को लेकर मतभेद

नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में स्थानीय पशु प्रेमियों और नागरिकों द्वारा इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है। लोगों का तर्क है कि कई कुत्ते पहले ही नसबंदी करवाकर लौटाए जा चुके हैं, और उन्हें दोबारा पकड़ना न केवल गैरजरूरी है, बल्कि क्रूरता भी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा, "नसबंदी बेहद ज़रूरी है। यदि इन कुत्तों की नसबंदी नहीं की गई, तो वे अनियंत्रित रूप से प्रजनन करते रहेंगे और उनकी आक्रामकता भी बढ़ सकती है। इससे समस्या और गहराएगी।

आगे का रास्ता

विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या का समाधान केवल कुत्तों को पकड़ने से नहीं निकलेगा। इसके लिए दीर्घकालिक नीति की ज़रूरत है जिसमें नियमित नसबंदी, वैक्सीनेशन, और आश्रय स्थलों की व्यवस्था शामिल हो। साथ ही, पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना भी जरूरी है। कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल सरकार के लिए चेतावनी है, बल्कि यह समाज को भी सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने शहरों में इंसानों और जानवरों दोनों के लिए सुरक्षित वातावरण बना पा रहे हैं?  Nehru-Gandhi Family | supreme court 
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