/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/30/CizJRH7l6UIS2cU8LOGX.png)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क:दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड के दोषी संतोष कुमार सिंह की समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज करने के SRB (सज़ा समीक्षा बोर्ड) के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि दोषी में सुधार की संभावना है और मामला पुनर्विचार के लिए फिर से SRB के पास भेज दिया गया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने SRB को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि दोषियों का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किसी योग्य मेडिकल प्रोफेशनल द्वारा किया जाए, ताकि यह तय किया जा सके कि अपराध की प्रवृत्ति समाप्त हो चुकी है या नहीं।
सबूतों के अभाव में हो चुका है बरी
संतोष कुमार सिंह इस समय उम्रकैद की सजा काट रहा है। 1996 में उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू के साथ दुष्कर्म कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी। शुरुआती ट्रायल में सबूतों के अभाव में 1999 में वह बरी हो गया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 2006 में फैसले को पलटते हुए उसे दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में दोष को बरकरार रखते हुए सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
दिशानिर्देश भी तय किए गए
हाई कोर्ट ने यह फैसला 14 मई को सुरक्षित रखा था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान SRB व्यवस्था में दोषियों के सुधार की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिए कोई वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं है। ऐसे में भविष्य में ऐसे मामलों में निर्णय से पहले मनोवैज्ञानिक परीक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि फैसले में SRB के लिए कुछ दिशानिर्देश भी तय किए गए हैं। कहा कि SRB के मौजूदा ढांचे में दोषी का किसी सक्षम मेडिकल प्रोफेशनल द्वारा औपचारिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन नहीं होता है। ऐसे में SRB के लिए यह आकलन करना मुश्किल है कि दोषी में अपराध करने की प्रवृत्ति खत्म हो गई है या नहीं। Delhi high court