Advertisment

Pahalgam attack: आतंकियों ने छीन ली 28 मासूम जिंदगियां, मरने वाले पर्यटकों में दो विदेशी भी शामिल, जम्मू बंद

इंसानियत को शर्मसार करते हुए आतंकियों ने सैलानियों के धर्म की पहचान के लिए उनके कपड़े उतरवाए और फिर गोलियों से छलनी कर दिया। ये हमला सिर्फ 28 जिंदगियों पर नहीं, भारत की आत्मा पर वार था।

author-image
Dhiraj Dhillon
पहलगाम आतंकी हमला, देश स्तब्ध, जम्मू बंद

Photograph: (Google)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00
पहलगाम, वाईबीएन नेटवर्क। पहलगाम की बर्फीली वादियों में बहती ठंडी हवाएं आज गर्म आँसुओं से भारी हो गई हैं। आतंक ने एक बार फिर अपनी डरावनी शक्ल दिखाई है, जहाँ गोलियों की गूंज ने मासूम सपनों को खामोश कर दिया। किसी के पिता, किसी के भाई, किसी की नई-नवेली खुशियाँ, सब कुछ बेदर्दी से छीना गया। ये हमला सिर्फ 28 जिंदगियों पर नहीं था, यह भारत की आत्मा पर वार था। पहचान पूछकर जान लेना उस विचारधारा का परिचायक है, जो इंसानियत को धर्म की दीवारों में कैद करना चाहती है, लेकिन भारत ना झुकता है, ना टूटता है। यह देश हर हमले के बाद और मजबूत होकर उभरता है। आतंकियों का मकसद डर फैलाना है, और हमारा मकसद उस डर के सामने सीना तान कर खड़ा होना है। 
Advertisment

धर्म की पहचान के लिए कपड़े उतरवाए और मार दी गोली

जम्मू-कश्मीर की वादियों में मंगलवार को उस वक्त मातम छा गया, जब पहलगाम की खूबसूरत बायसरन घाटी आतंक के खूनी खेल का गवाह बन गई। सेना की वर्दी में आए दरिंदों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं सिर्फ इसलिए कि उनका धर्म अलग था। इंसानियत को शर्मसार करते हुए आतंकियों ने सैलानियों के धर्म की पहचान के लिए उनके कपड़े उतरवाए और फिर गोलियों से छलनी कर दिया। पहचान पत्र देखे गए, लोगों से उनका धर्म पूछा, और हिंदू होने पर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया। इस भीषण हमले में 28 निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठे। दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोग भी इस बर्बरता के शिकार हुए। करीब 20 लोग घायल होकर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार ने अभी 16 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की है। दिल दहलाने वाली इस घटना के बाद जम्मू आज शोक और आक्रोश में बंद है। 

श्रीअमरनाथ यात्रा से पहले आतंक का साया 

Advertisment
3 जुलाई से शुरू होने वाली श्रीअमरनाथ यात्रा से ठीक पहले इस कायराना हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा के गुट 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली है। पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में यह सबसे भयावह आतंकी वारदात मानी जा रही है। तब भी देश ने अपने सैकड़ों जवानों को खोया था, आज निर्दोष नागरिकों की चीखों से घाटी फिर से दहल उठी है। प्रधानमंत्री मोदी का तुरंत देश लौटने का फैसलाखबर सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा अधूरी छोड़ दी। 

आतंक कभी अपने मकसद में कामयाब नहीं होगा

पीएम मोदी ने इस अमानवीय हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा- "आतंक का यह घिनौना चेहरा कभी अपने मकसद में सफल नहीं होगा। हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। "गृह मंत्री अमित शाह ने भी तुरंत उच्च स्तरीय बैठक की और हालात की समीक्षा के बाद श्रीनगर का रुख किया। गृहमंत्री ने रात में कश्मीर पहुंचकर हाई लेवल मीटिंग ली। पीएम अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौट आए। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा है, "आतंक के इस शैतानी एजेंडे को हम कभी सफल नहीं होने देंगे। पीड़ितों को हर संभव सहायता मिलेगी, और गुनहगारों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। आतंक से लड़ने का हमारा संकल्प पहले से भी ज्यादा मजबूत है।"
Advertisment

लेफ्टिनेंट विनर नरवाल की छह दिन पहले हुई थी शादी 

घायल आसावरी जगदाले (26) की आँखों ने अपने पिता का चेहरा आखिरी बार देखने का दर्द आंखों में है। आतंकियों ने उनके पिता संतोष जगदाले (54) को तंबू से बाहर घसीटा और 'कलमा' पढ़ने को कहा। जब वो नहीं पढ़ पाए, तो उनके सिर और पीठ में तीन गोलियां दाग दीं। उनका चाचा भी गोलियों का शिकार बन गया। यह अकेली कहानी नहीं है, करनाल के नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, जो छह दिन पहले ही शादी के बंधन में बंधे थे, आज अपनी नई दुल्हन को अकेला छोड़ गए। कानपुर के शुभम द्विवेदी, हैदराबाद में तैनात आईबी अधिकारी मनीष रंजन... हर नाम के साथ एक टूटा हुआ सपना जुड़ा है।" 

नाम बताओ, धर्म बताओ, फिर मार डालो" - शेष वादी में गूंजती चीखें

Advertisment
हमले में बची एक महिला ने रोते हुए बताया- "उन्होंने मेरे पति से नाम पूछा, धर्म जानने के बाद सिर में गोली मार दी। "कुछ लोगों से उनके कपड़े उतरवाकर पहचान की गई, और फिर गोलीबारी। भय और चीखों से घाटी थर्रा उठी। घटनास्थल के वीडियो में खून से लथपथ लोगों की बेबसी और मदद की गुहार करती महिलाओं की करुण पुकार देखी जा सकती है।  इस निर्मम हमले के खिलाफ आज पूरा जम्मू बंद है। हिंदू संगठनों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं ने आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। एक ही सवाल है  "आखिर हम कब तक यूं मासूमों को खोते रहेंगे?"
 terror attacks India | Terrorist attack | India terrorism
terror attacks India India terrorism Terrorist attack terrorist
Advertisment
Advertisment