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अच्छी खबरः देश को जल्द मिलेगी सहकारी टैक्सी सेवा, धन्नासेठों के हाथों नहीं लुटेंगे चालक

सहकारी टैक्सी सेवा भारत सरकार के “सहकारिता में समृद्धि” वाले ध्येय को समर्पित होगी। इस सेवा से जुड़ने के लिए टैक्सी चालकों को रजिस्ट्रेशन शुल्क या कमीशन नहीं देना होगा।

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Dhiraj Dhillon
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह

Photograph: (Google)

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सहका‌रिता को बढ़ावा देने के लिए त्रिभुवन राष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के ल‌िए विधेयक लाने के बाद सहकारिता मंत्रालय भी संभाल रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बड़ा ऐलान किया है। अब देश में ओला, उबर की तर्ज पर सहकारी टैक्सी सेवा लांच की जाएगी। यह सेवा भारत सरकार के “सहकारिता में समृद्धि” वाले ध्येय को समर्पित होगी। बड़ी बात यह होगी सहकारी सेवा से जुड़ने वाले टैक्सी चालकों को धन्ना सेठों को कोई कमीशन नहीं देना पड़ेगा। यहां तक रजिस्ट्रेशन शुल्क भी नहीं। टैक्सी चालक जितनी मेहनत करेंगे, उसका पैसा खुद ही पाएंगे।

दो, तीन और चार पहिया वाहन होंगे शामिल

Union Home Minister Amit Shah ने सदन को यह भी बताया कि सहकारी टैक्सी सेवा में दो, तीन और चार पहिया वाहन शामिल होंगे। अभी तक उबर और ओला जैसी टैक्सी सेवाओं में शामिल होने के लिए चालकों को पहले रजिस्ट्रेशन के नाम पर धन्ना सेठों को पैसा देना पड़ता है और हर राइड पर एक निश्चित कमीशन भी। सहकारी टैक्सी सेवा में ऐसा कुछ नहीं होगा। इच्छुक टैक्सी चालक निशुल्क रजिस्ट्रेशन पाएंगे और फिर एप के जरिए राइड बुकिंग भी।

मेहनत कशों को मिलेगा सीधा लाभ

सहकारिता मंत्रालय की इस पहल से जहां “सहकारिता में समृद्धि” को बल मिलेगा, वहीं मेहनत का पूरा पैसा सीधे टैक्सी चालक के खाते में जाएगा। बीच में कोई कमीशन खोर धन्ना सेठ नहीं होगा। इससे ग्राहकों को भी बेहतर टैक्सी सेवाएं मिल पाएंगी। शुरूआत में सहकारी टैक्सी सेवा राष्ट्रीय राजधानी के अलावा सभी प्रदेशों की राजधानी में भी शुरू करने की तैयारी है।

सहकारी बीमा कंपनी भी आएगी

बीमा क्षेत्र में कमीशन खोरी का मकड़जाल तोड़ने के लिए सहकारिता मंत्रालय सहकारी बीमा कंपनी लाने की भी तैयारी कर रहा है। य‌ह बीमा कंपनी पूरी तरह कमीशन से मुक्त होगी और बीमा पॉलिसी को इससे सीधा लाभ मिलेगा। अभी तक सभी बीमा कंपनियां क‌मीशन के आधार पर ही पॉलिसी जुटाती हैं। कमीशन एजेंट्स को जाने वाला पैसा बचेगा तो इसका सीधा लाभ ग्राहक को होगा।
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राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सभी भाषाओं में होगी पढ़ाई

सहका‌रिता को बढ़ावा देने के लिए त्रिभुवन राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सभी क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सभी भाषाओं में पढ़ाई होगी। इस विश्वविद्यालय में न केवल नए लोगोंं को प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने कौशल को निखार सकेंगे। यह विश्वविद्यालय सहकारिता के क्षेत्र के कर्मचारियों का भी कौशल विकास करेगा। गुजरात में आणंद स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित कर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रावधान है।
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