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AC की ठंडी हवा भी सरकार करेगी तय, गर्मी में AC का Temperature 20 डिग्री सेल्सियस से कम नही कर सकेंगे

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि नए मानकों का उद्देश्‍य एसी उपोग में एकरूपता लाना है और बिजली के अत्‍यधिक खपत को कम करना है। इससे कार्बन उत्‍सर्जन कम होगा तो देश में बिजली की मांग कम होगी।

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Narendra Aniket
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manohar lal khattar
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि जल्द ही देश में एयर कंडीशनिंग (एसी) उपकरणों के लिए नया राष्ट्रीय मानक लागू किया जाएगा। प्रस्तावित नियम के तहत किसी भी एसी की सेटिंग 20 डिग्री सेल्सियस से कम या 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रखी जा सकेगी।  केंद्रीय मंत्री ने इसे ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में साहसिक कदम बताते हुए कहा कि यह नियम जल्‍दी ही लागू होगा और इसके प्रभाव की निगरानी की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि इस कदम से बिजली की भारी मांग, बढ़ते बिजली बिल और कार्बन उत्सर्जन तीनों को एक साथ समाधान मिलने की आशा है। 

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इटली में 23 डिग्री, जापान में 27 डिग्री सीमा निर्धारित

खट्टर ने कहा कि इटली पहले ही अपने सभी सार्वजनिक भवनों में न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस की सीमा तय कर चुका है और जापान 27 डिग्री सेल्सियस पर टिके रहने की सख्त नीति अपनाता है। भारत का 20-28 डिग्री सेल्सियस फ्रेमवर्क इन्हीं अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से प्रेरित है। अभी इसका सिर्फ ट्रायल किया जाएगा। व्यवस्था फिलहाल लागू नहीं हो रही है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

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ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, एसी का तापमान प्रत्‍येक 1 डिग्री बढ़ाने पर लगभग 6 प्रतिशत बिजली की बचत होती है। आज बड़ी संख्‍या में भारतीय घरों और दफ्तरों में 18 डिग्री सेल्सियस या 19 डिग्री सेल्सियस सेटिंग चलाया जा रहा है। इसके चलते तेज गर्मी सत्र के दौरान पावर ग्रिड पर अचानक 10-12 गिगावॉट तक का अतिरिक्त भार पड़ता है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफ़िशिएंसी (BEE) ने 2019 में दफ्तरों के लिए 24 डिग्री सेल्सियस का डिफॉल्ट सुझाव दिया था। लेकिन अनुपालन स्वैच्छिक होने से असर सीमित रहा। 

नया अनिर्वाय मानक बचाएगा बिजली

नए अनिवार्य मानक से न सिर्फ बिजली खपत घटेगी, बल्कि एसी की लाइफ और कंप्रेसर एफिशिएंसी भी बढ़ेगी। इसका कारण यह है कि मशीनें बेहद कम तापमान पर जोर से चलने के बजाय मध्यम लोड पर चलेंगी।
सरकारी आकलन बताता है कि यदि देश के 6 करोड़ शहरी घर और लगभग 12 लाख कारोबारी प्रतिष्ठान 22-24 डिग्री सेल्सियस के बीच एसी चलाएं, तो सालाना 12-15 बिलियन यूनिट बिजली की बचत होगी। इतनी बिजली की बचत हो तो देश को चार-पांच नए कोयला-आधारित बिजली प्लांट कम लगाने होंगे और सालाना 1.2 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन घटेगा। 

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नए नियम से प्रभावित होंगे एसी निर्माता

नए नियम का सीधा असर एसी निर्माता कंपनियों पर पड़ेगा। उन्हें सभी आगामी मॉडल्स में 'हार्ड-कोडेड' तापमान सीमा या स्मार्ट कंट्रोल सॉफ्टवेयर लगाना होगा। ऐसा होने पर रिमोट से 18 डिग्री सेल्सियस कमांड देने पर भी कंप्रेसर 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं पहुंचेगा। 

जल्‍द ही अधिसूचित होगी नीति

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मनोहर लाल खट्टर ने स्पष्ट किया कि नीति को 'बहुत जल्द' अधिसूचित किया जाएगा। मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2025-26 ग्रीष्मकाल से पहले सभी केंद्रीय और राज्य सरकारी कार्यालयों, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन तथा बड़े शॉपिंग मॉल इस सीमा का पालन शुरू कर दें। आवासीय क्षेत्र में इसे चरण-बद्ध लागू किया जाएगा। ऊर्जा मंत्रालय, BEE और डिस्कॉम्स मिलकर निगरानी तंत्र बनाएंगे, जबकि BIS नए मानक को IS 1391 में शामिल करेगा। नियामकों को उम्मीद है कि चार-पांच साल के भीतर 70 प्रतिशत शहरी एसी लोड 20-28 डिग्री सेल्सियस फ्रेमवर्क पर आ जाएगा और भारत ऊर्जा मांग, जलवायु लक्ष्यों और उपभोक्ता बचत, नों मोर्चे पर उल्लेखनीय सफलता हासलि करेगा।

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