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पूर्व अमेरिकी सांसद और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं तुलसी गबार्ड ने हाल ही में EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर जो टिप्पणी की, उसने न सिर्फ अमेरिका में, बल्कि भारत में भी चुनावी पारदर्शिता को लेकर बहस को फिर हवा दे दी है।
एक पैनल डिस्कशन में तुलसी ने कहा – "यदि जनता को यह यकीन नहीं रहता कि उनका वोट उसी उम्मीदवार को गया जिसे उन्होंने चुना, तो वो सिस्टम एक लोकतंत्र नहीं कहलाता। EVMs पर वैश्विक स्तर पर गंभीर सवाल हैं, जिन पर चर्चा ज़रूरी है।" उनका यह बयान कई देशों के संदर्भ में था, लेकिन भारत में इसे लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया है।
भारत में कई विपक्षी नेताओं ने इस बयान को उठाते हुए कहा कि जब अमेरिका की जानी-मानी नेता EVM पर संदेह जता रही हैं, तो भारत में इस तकनीक की निष्पक्षता पर पुनर्विचार ज़रूरी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों ने इसे लेकर चुनाव आयोग पर फिर से सवाल दागे हैं। कॉंग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले मे स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच करानी चाहिए।
सरकार और चुनाव आयोग ने तुलसी के बयान को 'अवांछनीय और भ्रामक' बताते हुए कहा कि भारत की EVM प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित और हैक-प्रूफ है। आयोग ने दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी EVM की वैधता और पारदर्शिता को स्वीकार किया है।
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर दो मत देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग तुलसी गबार्ड की चिंताओं को गंभीर मान रहे हैं, जबकि कई लोग इसे भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बदनाम करने की कोशिश बता रहे हैं।