नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाने के बाद शुक्रवार को जांच एजेंसियों ने उससे पूछताछ शुरू की। लेकिन, अधिकारियों को शुरुआती दौर की पूछताछ से संतोषजनक जानकारी नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि राणा से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई, जिसमें वह बार-बार "याद नहीं" और "पता नहीं" जैसे जवाब देता रहा। उधर, पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण को आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई में एक निर्णायक क्षण बताया और कहा कि किसी पर दोष मढ़ने या इस कदम का विशेष श्रेय लेने के लिए इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
एजेंसी के जवाबों पर कर रहा टालमटोल
पूछताछ के दौरान जांच अधिकारियों ने राणा से उसके परिवार, दोस्तों और संपर्कों के बारे में जानकारी लेनी चाही, लेकिन वह टालमटोल करता रहा। एजेंसियों का मानना है कि राणा जानबूझकर सहयोग नहीं कर रहा है और समय खींचने की कोशिश कर रहा है। भारत की जांच एजेंसियों के लिए राणा एक अहम कड़ी है, क्योंकि माना जाता है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश में शामिल रहा है। Crime in India | Crime Investigation | Brutal Crime Stories
18 दिन की हिरासत में है आतंकी तहव्वुर राणा
बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने राणा के अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार को नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचते ही उसे हिरासत में ले लिया। इसके बाद राणा को पटियाला हाउस स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की हिरासत में भेज दिया गया। एनआईए अब राणा से 2008 के मुंबई हमलों की साजिश के बारे में विस्तार से पूछताछ करेगी, जिसमें 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।
विशेष विमान से लाया गया
राणा को लॉस एंजिल्स से एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों के साथ एक विशेष विमान से भारत लाया गया। अमेरिका में राणा ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई कानूनी कोशिश की, जिसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका भी शामिल थी। सभी याचिकाएं खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा किया।
राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर षडयंत्र का आरोप
एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए वर्षों तक प्रयास किए। एजेंसी ने अमेरिका की एफबीआई, न्याय विभाग (यूएसडीओजे) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई हमलों की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी।मुंबई हमले 26 नवंबर 2008 को हुए थे, जब 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की षडयंत्र बनाने का आरोप है।
प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक : अश्विनी कुमार
वर्ष 2012-2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में कानून मंत्री रहे कुमार ने एक बयान में कहा, यह भारत के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ने वाले सभी लोगों को न्याय के दायरे में लाने के राष्ट्र के सामूहिक संकल्प की पुष्टि है। कुमार ने यह भी कहा कि प्रत्यर्पण मामलों में जटिल कानूनी और कूटनीतिक औपचारिकताओं के बावजूद, भारत में संबंधित प्राधिकारियों ने न्याय को कायम रखने और ‘‘2008 में मुंबई में हुए जघन्य आतंकवादी हमलों के शहीदों और पीड़ितों के प्रति अपना कर्ज चुकाने’’ के लिए इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया।
यूपीए ने की थी प्रत्यर्पण की कोशिश
उन्होंने कहा, ‘यह देखते हुए कि संप्रग सरकार ने 2011 में राणा के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करके उसके प्रत्यर्पण की पूरी प्रक्रिया शुरू की थी, यह कहना गलत है कि पूर्ववर्ती सरकार राणा के मामले में लापरवाह थी।’कुमार ने कहा कि राणा के सफल प्रत्यर्पण के लिए विशेष श्रेय लेने के वास्ते इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘देश को उम्मीद है कि राजनीतिक दल दलगत राजनीति से ऊपर उठेंगे, कम से कम आतंकवाद के मामले में और हमारी लोकतांत्रिक राजनीति की परिपक्वता का प्रदर्शन करेंगे।’