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अमेरिकी सांसद ग्रेगरी मीक्स ने कहा—Trump के टैरिफ निर्णयों से खतरे में अमेरिका-भारत साझेदारी

अमेरिकी सांसद ग्रेगरी मीक्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'टैरिफ वार' नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे अमेरिका-भारत के बीच वर्षों से बनाई जा रही रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को खतरा पैदा हो गया है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: अमेरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ डेमोक्रेट सांसद ग्रेगरी मीक्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि उनके द्वारा शुरू की गई ‘टैरिफ वार’ (शुल्क युद्ध) ने अमेरिका-भारत के बीच वर्षों से विकसित रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को खतरे में डाल दिया है।

ऐसे मामलों का समाधान दोनों देशों को करना चाहिए

मीक्स, जो ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी’ में डेमोक्रेटिक पार्टी के रैंकिंग सदस्य हैं, उन्होंने ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने के लिए वर्षों से किए गए सतर्क प्रयासों को कमजोर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों का समाधान दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों और आपसी सम्मान के साथ होना चाहिए।

ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया 50% टैरिफ

दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 25% का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया है, जो कि पहले से लगाए गए 25% शुल्क के अलावा है। इस तरह भारत पर कुल 50% आयात शुल्क लगाया गया है, जो अमेरिका द्वारा किसी देश पर लगाए गए उच्चतम शुल्कों में से एक है। यह नया शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा। इस निर्णय को लेकर कई विशेषज्ञों और भारतीय-अमेरिकी समुदाय में चिंता देखी जा रही है। इस बीच, न्यूयॉर्क के भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और भू-राजनीतिक विश्लेषक अल मेसन ने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक मजबूत व्यक्तिगत संबंध है, जो पारंपरिक कूटनीति से कहीं आगे जाता है।

भारत और अमेरिका रणनीतिक भागीदार 

मेसन ने कहा कि यह केवल हाथ मिलाने और तस्वीरें खिंचवाने तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों नेताओं के दृष्टिकोण में सामंजस्य है। वे जानते हैं कि नेतृत्व का अर्थ टकराव से बचना नहीं, बल्कि उसका सामना स्पष्टता और उद्देश्य के साथ करना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रिश्ते अक्सर ऐतिहासिक फैसलों के पीछे की “शांत शक्ति” होते हैं। ट्रंप और मोदी के संबंधों को इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। अल मेसन ने जोर दिया कि अमेरिका और भारत न केवल रणनीतिक भागीदार हैं, बल्कि उनकी साझेदारी वैश्विक लोकतांत्रिक संतुलन को भी प्रभावित करती है। “ये रिश्ते केवल सुविधा नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक आवश्यकता बन चुके हैं।

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