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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने दो दिन पहले दावा करते हुए कहा था कि राज्यपाल से लेकर न्यायपालिका, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष तक सभी लोग केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। इस बयान को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार को जयपुर में आयोजित एक जनसभा में खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुझ पर कोई दवाब नहीं है।
...तो आरोप लगाना आसान हो जाता है
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने साफ शब्दों में कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं है और न ही वे किसी के दबाव में काम करते हैं। उन्होंने कहा, “राज्यपाल एक आसान निशाना बन जाते हैं। जब राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच सामंजस्य नहीं होता तो राज्य सरकार की ओर से आरोप लगाना बहुत आसान हो जाता है। यह चलन अब इतना बढ़ गया है कि इसमें उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति जैसे शीर्ष संवैधानिक पदों को भी घसीटा जाने लगा है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।”
VIDEO | Addressing a public gathering in Jaipur, Vice President Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) said, “A Governor becomes an easy punching bag. If the state government is not in sync with the central government, it becomes very easy to level allegations. But over time, this trend has… pic.twitter.com/mjycI1cK88
— Press Trust of India (@PTI_News) June 30, 2025
"राजस्थान की धरती पर जवाब दे रहा हूं"
उपराष्ट्रपति ने गहलोत का नाम लिए बिना कहा कि वे जवाब इसलिए दे रहे हैं क्योंकि यह टिप्पणी उनकी अपनी भूमि, राजस्थान से आई है। उन्होंने कहा, “मैं न किसी पर दबाव डालता हूं, न ही किसी के दबाव में काम करता हूं। राजस्थान की धरती पर मेरे एक मित्र ने यह बात कही, इसलिए मुझे भी यह स्पष्ट करना जरूरी लगा। मैं अपनी बात पूरी ईमानदारी और खुले मन से कह रहा हूं।”
लोकसभा अध्यक्ष का भी किया बचाव
उपराष्ट्रपति ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का भी बचाव किया और कहा कि उन पर दबाव का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा, “लोकसभा स्पीकर ओम बिरला दबाव में आ ही नहीं सकते। जो व्यक्ति राजस्थान का पानी पीता है, वह दबाव में आ ही कैसे सकता है? वह कड़ी परिस्थितियों में काम करता है। बलराम जाखड़ भी राजस्थान से सांसद रहे और लोकसभा स्पीकर बने थे। यह भूमि कभी दबाव में झुकने वाली नहीं रही है।”
लोकतंत्र में विपक्ष दुश्मन नहीं, संवाद जरूरी
धनखड़ सोमवार को जयपुर के संविधान क्लब में पूर्व विधायकों के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से जुड़ी यादें भी साझा कीं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरिमोहन शर्मा को यह भलीभांति पता है कि वे राजनीति में कैसे आए और विधायक कैसे बने। उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में लोकतंत्र की मूल भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष कोई दुश्मन नहीं होता। “वाद-विवाद और संवाद लोकतंत्र की आत्मा हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की जान है। अगर अभिव्यक्ति इस स्तर तक पहुंच जाए कि दूसरे के विचारों का कोई महत्व न रहे, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।” उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छे लोकतंत्र में दूसरों की बात सुनना जरूरी है। दूसरे का पक्ष सुनना आपको मजबूत बनाता है। संसद में जब संवाद की गुंजाइश खत्म होती है, तो लोकतंत्र की गरिमा भी प्रभावित होती है।
गहलोत ने क्या कहा था?
दो दिन पहले जोधपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि आज देश में संवैधानिक संस्थाएं दबाव में काम कर रही हैं। राज्यपाल, न्यायपालिका, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष तक सब दबाव में हैं। भाजपा को लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने पिछले सत्र में संसद के लगभग 150 सांसदों को सस्पेंड करवा दिया, जो आजादी के बाद पहली बार हुआ। गहलोत ने भाजपा पर संसद को न चलने देने का भी आरोप लगाया था और कहा था कि सत्ता पक्ष लोकतंत्र की मर्यादा को खत्म कर रहा है। ashok Gehlot