नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। ईरान और इसराइल के बीच चल रहे तनाव और युद्ध (Iran Israel War) को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में युद्ध होना चिंता का विषय है, यह कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इसराइल को ईरान पर हमला करना पड़ा?
दो महीने में ऐसा क्या बदल गया?
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ठीक दो महीने पहले अमेरिकी खुफिया प्रमुख ने कहा था कि ईरान परमाणु बम के करीब भी नहीं है। फिर अचानक दो महीने में ऐसा क्या बदल गया कि इसराइल को सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी? उन्होंने इस युद्ध को अनावश्यक और खतरनाक करार दिया।
लड़ाई में हमारे लोग फंसे हैं...
उमर अब्दुल्ला ने इस लड़ाई के मानवीय पहलू पर भी ध्यान खींचते हुए कहा कि इसका असर भारत पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में हमारे लोग फंसे हैं। पूरे देश से 6000 से ज्यादा विद्यार्थी वहां हैं, जिनमें से लगभग 1600 जम्मू-कश्मीर के हैं। उन्हें सुरक्षित निकालने की कोशिशें जारी है। आपको बता दें कि गुरुवार को ईरान से 100 भारतीय नागिरकों का जत्था ऑपरेशन सिंधु के तहत सुरक्षित भारत लाया गया। इसमें 90 जम्मू-कश्मीर के छात्र थे।
पंजाब और अन्य राज्यों को नहीं देंगे पानी
जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने सिंधु नदी प्रणाली के अधिशेष जल को बाहरी राज्यों की ओर मोड़ने के प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "जम्मू सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है और जब हमें अपने ही लोगों को पानी नहीं मिल रहा, तब हम क्यों पंजाब या अन्य राज्यों को पानी दें?" उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत पंजाब पहले से ही पर्याप्त पानी ले रहा है। "क्या जब हमें ज़रूरत थी, तब उन्होंने हमारी मदद की थी?" उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 113 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित नहर को अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता।
आरक्षण को लेकर महबूबा मुफ्ती पर हमला
राज्य में भर्ती में आरक्षण को लेकर बनी कैबिनेट उप-समिति पर भी उन्होंने तीखा हमला बोला। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब महबूबा मुफ़्ती को वोटों की ज़रूरत थी, तो उन्होंने अपने पार्टी के सदस्यों को आरक्षण के बारे में बात करने से भी सख्ती से मना कर दिया था। जब वे अनंतनाग से चुनाव लड़ रही थीं और राजौरी और पुंछ से वोटों की ज़रूरत थी, तब उन्होंने आरक्षण के बारे में बात क्यों नहीं की? जब ये सब हो रहा था, तब सज्जाद लोन पांच साल तक सरकार के नज़दीक थे। हमें हमारे सरकारी घरों से निकाल दिया गया और हमारी सुरक्षा कम कर दी गई, जबकि वे सरकारी घर में बैठे थे। उन्होंने तब आरक्षण के बारे में बात क्यों नहीं की? अगर मुझे समय बर्बाद करना होता, तो मैं उप-समिति को छह महीने और देता। तब वे क्या करते? क्या उनके पास मुझे छह महीने में यह रिपोर्ट पूरी करने के लिए मजबूर करने का कोई तरीका था? कैबिनेट ने उप-समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और इसे कानून विभाग को उनकी टिप्पणियों के लिए भेज दिया है।" iran israel | iran israel war | Omar Abdullah | cm omar abdullah statement | jammu kashmir