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DRG जवानों को अपना दुश्मन क्यों मानते हैं नक्सली? जानें

नक्सली डीआरजी जवानों की टोली को अपना निशाना बना चुके हैं। डीआरजी नक्सलियों की दुश्मन मानी जाती है। आइए जानते हैं कि डीआरजी क्या है और नक्सली इसे अपना दुश्मन क्यों मानते हैं।

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Pratiksha Parashar
Bastar Naxilite Attack

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क | छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुए नक्सली हमले में आज 9 जवान शहीद हो गए हैं, जिसके बाद पूरे देश में शोक का माहौल है। नक्सलियों ने आईईडी से डीआरजी जवानों (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की गाड़ी को उड़ा दिया। पहले भी नक्सली डीआरजी जवानों की टोली को अपना निशाना बना चुके हैं। डीआरजी नक्सलियों की दुश्मन मानी जाती है। आइए जानते हैं कि डीआरजी क्या है और नक्सली इसे अपना दुश्मन क्यों मानते हैं।

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डीआरजी क्यों है नक्सलियों के दुश्मन? 

डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड के जवान गुरिल्ला लड़ाई में माहिर होते हैं। ये नक्सली क्षेत्रों से अच्छी तरह से परिचित होते हैं। डीआरजी जवान सुरक्षाबलों की अन्य टीमों के साथ मिलकर नक्सल विरोधी अभियान चलाते हैं। यही वजह है कि नक्सली डीआरजी की टारगेट करते हैं।

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2008 में हुआ था गठन

 नक्सलियों से लड़ने के लिए 2008 में डीआरजी का गठन किया गया था। दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में 7 जिले आते हैं, जो नक्सलवाद से प्रभावित हैं। नक्सलियों से लड़ाई और नक्सलवाद के खात्मे के लिए डीआरजी यानी कि डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड का गठन किया गया था। हर जिले के लिए अलग-अलग बार डीआरजी का गठन किया गया। सबसे पहले कांकेर और नारायणपुर जिलों में डीआरजी का गठन किया गया था। साल 2013 में बीजापुर और बस्तर में इसका गठन किया गया, वहीं 2014 में सुकमा और कोंडागांव में इसका गठन किया गया। 2015 में दंतेवाड़ा में डीआरजी का गठन किया गया। 

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