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Women Power in Finance: Bank से D-Mat तक बढ़ी Women Power! खातों, स्टार्टअप और निवेश में नया रिकॉर्ड

भारत में महिलाओं की बैंकिंग, निवेश और स्टार्टअप्स में भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। डीमैट अकाउंट से लेकर उद्यमिता तक, हर क्षेत्र में महिलाएं नया मुकाम बना रही हैं।

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Vibhoo Mishra
Govt.
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

भारत में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी लगातार मजबूत हो रही है। न सिर्फ बैंक खातों की संख्या में उनकी हिस्सेदारी बढ़ी है, बल्कि शेयर बाज़ार और स्टार्टअप्स में भी उनका दायरा पहले से कहीं ज्यादा फैल चुका है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल बैंक खातों में 39.2% हिस्सेदारी अब महिलाओं की है, और जमा धन में भी उनका हिस्सा 39.7% तक पहुंच चुका है। यह संकेत है कि महिलाएं अब केवल खर्च नहीं, बल्कि बचत और निवेश में भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

ग्रामीण इलाकों में भी Women Banking का दबदबा

शहरों की बात तो हमेशा होती है, लेकिन इस बार गांवों ने भी उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है। सरकार ने बताया कि ग्रामीण भारत में खुले बैंक खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी 42.2% तक पहुंच चुकी है। यह दर्शाता है कि फाइनेंशियल लिटरेसी और डिजिटल पहुंच का असर अब गांवों में भी दिखने लगा है।

D-Mat अकाउंट्स में भी महिलाएं पीछे नहीं

पिछले कुछ वर्षों में भारत में D-Mat खातों की संख्या चार गुना से अधिक बढ़ गई है। 31 मार्च 2021 तक जहां 3.32 करोड़ डीमैट अकाउंट थे, वहीं 30 नवंबर 2024 तक यह आंकड़ा 14.30 करोड़ तक पहुंच गया। पुरुष निवेशकों की संख्या अब भी ज्यादा है, लेकिन महिलाओं की भागीदारी में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 2021 में महिलाओं के नाम सिर्फ 66 लाख डीमैट अकाउंट थे, 2024 में यह संख्या बढ़कर 2.7 करोड़ हो गई।

स्टार्टअप्स और व्यापार में भी Women Founders की बाढ़

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महिला उद्यमिता भी तेजी से पैर पसार रही है। DPPIIT के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में ऐसे स्टार्टअप्स की संख्या सिर्फ 1,943 थी जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक थीं। 2024 में यह आंकड़ा 17,405 तक पहुंच चुका है। विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में महिलाओं के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

मतदाताओं से लेकर शिक्षा तक - हर मोर्चे पर महिलाएं आगे

1952 में जहां कुल मतदाता 17.32 करोड़ थे, वहीं 2024 में यह संख्या 97.8 करोड़ पहुंच चुकी है। इसमें महिला मतदाताओं का रजिस्ट्रेशन भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। शिक्षा में भी Gender Parity Index (GPI), यानी लिंग समानता का स्तर प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर स्थिर बना हुआ है।

कामकाजी महिलाओं की संख्या में उछाल

आंकड़ों के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 2017-18 में 49.8% थी। 2023-24 में बढ़कर 60.1% हो चुकी है। यह दर्शाता है कि महिलाएं सिर्फ घर तक सीमित नहीं, बल्कि रोजगार, व्यापार और वित्त में भी मज़बूती से कदम रख रही हैं।

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भारत में महिलाओं की बैंकिंग, निवेश और स्टार्टअप्स में भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। डीमैट अकाउंट से लेकर उद्यमिता तक, हर क्षेत्र में महिलाएं नया मुकाम बना रही हैं।

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