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अमावस्या को हिंदू ग्रंथों में पित्रों अर्थात पूर्वजों को समर्पित महत्वपूर्ण दिवस के रूप मे माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए दान तथा पवित्र नदियों में स्नान को श्रेष्ठ माना गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस्या माह की और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है, इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। प्रत्येक माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं। इन्हीं मासिक तिथियों में, कुछ लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या, शनि जयंती तथा वट सावित्री व्रत, भौमवती अमावस्या, कार्तिक अमावस्या अर्थात दीवाली, हरियाली अमावस्या, महालया अमावस्या अथवा सर्वपितृ अमावस्या हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अमावस्या 2025 की तिथि 24 जुलाई 2025 को रात 2:28 बजे से शुरू हुई और 25 जुलाई 2025 को दोपहर 12:40 बजे तक रहेगी। अमावस्या का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:15 बजे से 4:56 बजे तक रहेगा। चर मुहूर्त सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक और लाभ मुहूर्त दोपहर 12:27 बजे से 2:10 बजे तक रहेगा। राहुकाल दोपहर 2:10 बजे से 3:52 बजे तक है। इस समय शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस दिन हर्षण योग सुबह 9:50 बजे तक रहेगा, जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसके बाद वज्र योग शुरू होगा। पुनर्वसु नक्षत्र शाम 4:44 बजे तक रहेगा, जो धार्मिक कार्यों के लिए शुभ है।
अमावस्या की पूजा विधि
श्रावण अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है, भगवान शिव की पूजा, पितृ तर्पण, और वृक्षारोपण के लिए विशेष महत्व रखती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। घर पर स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाएं। सूर्यार्घ्य और पितृ तर्पणकरें। सूर्य देव को जल, काले तिल, चावल, और पुष्प के साथ अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद पितरों की शांति के लिए कुश, तिल, और जल से तर्पण करें। "ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्" मंत्र का जाप करें।
घर पर शिवलिंग की पूजा करें
शिव मंदिर में या घर पर शिवलिंग की पूजा करें। शि वलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और सफेद फूल अर्पित करें। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें। रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है। साथ ही पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और जल अर्पित करें। तुलसी के पौधे की पूजा करें और दीप जलाएं। यह कार्य पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। गरीबों को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा दान करें। ब्राह्मण भोज कराना विशेष पुण्यकारी है।
श्रावण अमावस्या का धार्मिक महत्व
श्रावण अमावस्या का धार्मिक, आध्यात्मिक, और प्राकृतिक महत्व है। यह सावन मास में आती है, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन शिव और पार्वती की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विशेषकर कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और सुहागिनों को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। इस दिन तर्पण और पिंडदान से पितृ दोष का निवारण होता है और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। यह कार्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। हरियाली अमावस्या के रूप में यह दिन वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करता है। पीपल, बरगद, और तुलसी जैसे पवित्र वृक्षों की पूजा और रोपण से प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
ज्योतिषीय महत्व
इस दिन कर्क राशि में सूर्य और शुक्र की युति होगी, जो कुछ राशियों के लिए शुभ फल देगी। हर्षण योग कार्यों में सफलता और सकारात्मकता प्रदान करता है। पितृ दोष और शनि दोष से मुक्ति के लिए काले तिल, सरसों का तेल, और उड़द की दाल दान करें। "ॐ नमः भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप वृक्ष पूजा के दौरान करें। यह दिन भक्ति, पर्यावरण संरक्षण, और पितृ कृपा प्राप्त करने का अनुपम अवसर है। विधिवत पूजा और व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। : Lord Shiva Worship | Amavasya Daan Mahatva | Hindu Religious Days | Shiva Devotees Rituals