Advertisment

Amavasya: परिवार में सुख-शांति के लिए सर्वपितृ अमावस्या पर करें विशेष श्राद्ध, बन रहा है ये शुभ संयोग

अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या और आश्विन अमावस्या शनिवार को पड़ रही है।

author-image
YBN News
SarvapitriAmavasya

SarvapitriAmavasya Photograph: (ians)

नई दिल्ली। अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या और आश्विन अमावस्या शनिवार को पड़ रही है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है।

ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग

मालूम हो कि सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसका मुहूर्त 11 सितंबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 57 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे। इसके बाद वे कन्या राशि में गोचर करेंगे। 

दृक पंचांग के अनुसार

दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय 4 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

गरुड़ पुराण के अनुसार

गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध करने में असमर्थ हो तो वह अमावस्या तिथि पर सभी के लिए श्राद्ध कर सकता है, जो परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन पूर्णिमा तिथि को मृत हुए लोगों का भी महालय श्राद्ध किया जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

Advertisment

ऐसे करें पूजा

सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करें। गाय, कुत्ते, कौवे, देव, और चींटी के लिए भोजन निकालें। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें। पीपल के पेड़ की पूजा करें, जिसमें पितरों का वास माना जाता है, इसकी सात परिक्रमा करें, और सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाएं। आप मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ भी लगा सकते हैं, जिससे आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होगी।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Advertisment
Advertisment