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Sawan Saturday: ऐसे करें 'सूर्यपुत्र' की पूजा, बरसाएंगे कृपा और मिलेगी सफलता

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार को पड़ रही है। आडल योग का निर्माण हो रहा, यह अशुभ योग है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते। ऐसे में सूर्यपुत्र के पूजा की विधि बताई गई है, जिसके करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और कुप्रभाव खत्म होते हैं।  

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YBN News
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SawanSaturday Photograph: (ians)

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नई दिल्ली, आईएएनएस। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार को पड़ रही है। इस दिन आडल योग का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह अशुभ योग है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे में धर्मशास्त्रों में सूर्यपुत्र के पूजा की विधि बताई गई है, जिसके करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और कुप्रभाव खत्म होते हैं।  

दृक पंचांग के अनुसार

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 09 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

आडल योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग

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आडल योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है, इसका निर्माण नवरात्रि के पहले दिन साल 2022 में हुआ था। इसे शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता, साथ ही शुभ कार्य भी वर्जित होते हैं। हालांकि, शनिदेव के पूजन से जीवन में सुख-शांति के साथ सफलता के द्वार खुलते हैं। शनिदेव के पूजन के साथ उनका व्रत रखना भी उत्तम माना जाता है।

अग्नि पुराण के अनुसार

अग्नि पुराण के अनुसार, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। श्रावण मास में इस व्रत को रखने का खास महत्व है। इसके अलावा, ये व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, 7 शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा भी मिलती है।

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शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दिया जलाएं। रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए, साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए और राजा दशरथ की रचना 'शनि स्तोत्र' का पाठ भी करें और 'शं शनैश्चराय नम:' और 'सूर्य पुत्राय नम:' का जाप करें।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है।

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