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Amla navami 2025 : आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास, पूजा से मिलता है विशेष लाभ, जानें पूजन विधि

हिंदू धर्म में आंवला नवमी का खास महत्व है। इस दिन आंवले के वृक्ष की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा व आंवला दान करने से क्या फल मिलता है।

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Mukesh Pandit
Amla Navami 2025

Amla navami: हिंदू धर्ममें आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी या सीता नवमी भी कहा जाता है का विशेष महत्व है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है, क्योंकि मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं। आंवला को अमृत तुल्य फल माना जाता है, जो रोगों का नाश करता है, दीर्घायु प्रदान करता है और धन-धान्य की वृद्धि करता है। इस दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फल देता है, अर्थात् इसका लाभ कभी नष्ट नहीं होता और अगले जन्मों तक मिलता रहता है। विशेष रूप से महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, लंबी आयु और सौंदर्य के लिए व्रत रखती हैं। मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी इस दिन अक्षय पुण्य प्रदान करती है। 

एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है व्रत

शास्त्रों में कहा गया है कि यह व्रत देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक पांच दिनों तक चलता है। इन पांच पवित्र दिनों को भीष्म पंचक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध के बाद अपने अंतिम समय में इन दिनों व्रत रखा था और भगवान विष्णु की उपासना की थी। शास्त्रों में लिखा है कि जो व्यक्ति भीष्म पंचक का व्रत पूरे नियमों के साथ करता है, उसे चातुर्मास व्रत के समान फल प्राप्त होता है। यह काल आत्मसंयम, पूजा, दान और मोक्ष साधना का प्रतीक माना गया है। इस अवधि में आंवले के वृक्ष की पूजा, व्रत, कथा श्रवण और दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

आंवला नवमी : तिथि और मुहूर्त

पर्व का दिन: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
नवमी तिथि प्रारंभ : 30 अक्टूबर 2025, प्रातः 10:06 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2025, प्रातः 10:03 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:36 बजे से 10:03 बजे तक

आंवला नवमी का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। आंवला स्वयं दिव्य औषधि वृक्ष है, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक माना गया है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य कर्म अक्षय होता है। मान्यता है कि आज के दिन किया गया कर्म कभी समाप्त नहीं होते। इस दिन महिलाएं अपने परिवार और संतान की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन में परिक्रमा कर अक्षय पुण्य अर्जित करते हैं।

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आंवला नवमी पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और आंवले के वृक्ष के नीचे आसन बिछाएं और व्रत का संकल्प लें। आंवले के वृक्ष के तने को जल, गंगा जल और दूध से स्नान कराएं। इसके बाद रोली, चावल, हल्दी, सिंदूर और पुष्प अर्पित करें। वृक्ष की परिक्रमा 7 बार करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाना और वहीं बैठकर ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भोजन में विशेष रूप से पूड़ी, चने की दाल और मिठाई बनाई जाती है।

व्रत कथा सुनना

आंवला नवमी की कथा अवश्य सुनें या सुनाएं। कथा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और परिवारजनों को प्रसाद वितरित करें। पुराणों में वर्णन है कि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा, “हे प्रभु, ऐसा कौन-सा वृक्ष है जिसकी पूजा करने से अक्षय फल प्राप्त होता है?” तब भगवान विष्णु बोले,  “हे देवी, आंवला वृक्ष मेरी ही शक्ति से उत्पन्न हुआ है। जो भक्त इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। इसी कारण इस दिन को अक्षय नवमी कहा जाता है।  Amla Navami 2025 | Hindu festivals 2025 | Hindu festivals | hindu festival | hindu religion | religion 

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