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चंद्र ग्रहण ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहण लगने से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, विवाह या किसी भी शुभ कार्य को करने से परहेज किया जाता है। शास्त्रों में सूतक काल को अशुभ माना गया है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। इस चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व भी कम नहीं है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, भगवान का स्मरण और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
क्यों कहा जाता है ब्लड मून
साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे खगोल वैज्ञानिक "ब्लड मून" कहते हैं, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा लाल रंग में नजर आएगा। यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा तिथि होगी, और पितृपक्ष की शुरुआत भी होगी। चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होगा, जिसका प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ेगा। आइए, इस चंद्र ग्रहण के समय और सूतक काल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानिएं क्या है चंद्र ग्रहण का समय
पंचांग और खगोलीय गणनाओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण रविवार को रात 9:58 बजे शुरू होगा। यह ग्रहण अपने चरम पर रात 11:42 बजे पहुंचेगा, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में होगा। ग्रहण का समापन 08 सितंबर 2025 को रात 1:26 बजे होगा। इसकी कुल अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट होगी। इस दौरान चंद्रमा लाल-नारंगी रंग में नजर आएगा, जो एक दुर्लभ और आकर्षक खगोलीय दृश्य होगा। यह ग्रहण भारत के सभी हिस्सों में, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, और चंडीगढ़ में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
सूतक काल का समय और महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो एक अशुभ अवधि मानी जाती है। इस बार सूतक काल 07 सितंबर 2025 को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण की समाप्ति, यानी 08 सितंबर 2025 को रात 1:26 बजे तक रहेगा। कुछ स्रोतों के अनुसार, बच्चों, बुजुर्गों, और अस्वस्थ लोगों के लिए सूतक काल शाम 6:36 बजे से शुरू हो सकता है। सूतक काल में धार्मिक कार्य, जैसे पूजा-पाठ, हवन, और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं, और देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता। सूतक काल में भोजन बनाना, खाना, या नुकीली वस्तुओं जैसे चाकू और कैंची का उपयोग करना भी वर्जित है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, जैसे बाहर न निकलना और तेज वस्तुओं का उपयोग न करना।
ॐ चंद्राय नमः का करें जाप
सूतक काल और ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, ध्यान, और भगवान का स्मरण करना शुभ माना जाता है। "ॐ चंद्राय नमः" या "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप विशेष रूप से फलदायी है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना, घर में गंगाजल का छिड़काव करना, और तिल, चावल, या चांदी का दान करना शुभ फल देता है। पितृपक्ष की शुरुआत के साथ यह ग्रहण पितरों की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर भी माना जाता है। Chandra Grahan 2025 | hindu bhagwa | hindu | hindu god | hinduism