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जागेश्वर धाम: शिव और कुबेर के इस मंदिर में ऐसा करने से आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम नाम का मंदिर है। इसकी मान्यता है कि इस मंदिर की मिट्टी घर ले जाने पर बरकत आती है। मंदिर की एक और मान्यता है, जिसमें चांदी के सिक्के का इस्तेमाल होता है।

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YBN News
JageshwarDham

JageshwarDham Photograph: (IANS)

नई दिल्ली। जागेश्वर धाम में कुबेर भगवान एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान हैं। यहां भगवान शिव और कुबेर दोनों की पूजा होती है। पूरे देश भर में 18 अक्टूबर को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का त्योहार मनाया जाने वाला है। धनतेरस के दिन मुख्यत: भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। धनतेरस पर नमक, झाड़ू, साबुत धनिया और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन हम आपके लिए ऐसे मंदिर की जानकारी लेकर आए हैं, जहां मात्र सिक्का ले जाने से श्रद्धालु मालामाल होता है। 

जागेश्वर धाम मंदिर

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम नाम का मंदिर है। इसकी मान्यता है कि इस मंदिर की मिट्टी घर ले जाने पर बरकत आती है। मंदिर की एक और मान्यता है, जिसमें चांदी के सिक्के का इस्तेमाल होता है। कहा जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए या कर्ज से मुक्त होने के लिए चांदी का सिक्का लेकर मंदिर जाएं। वहां मंदिर में मंत्र पढ़कर और सिक्के की पूजा कराकर उसे पीले कपड़े में बांधकर अपने घर ले जाएं तो आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है। अपनी मनोकामना को पूरा कराने के लिए यहां कुबेर भगवान को खीर अर्पित की जाती है।

गर्भगृह की मिट्टी

 माना जाता है कि अगर किसी का कारोबार ठप पड़ गया है तो इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी ले जाकर अपनी तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिति सुधरती है और घर में धन-धान्य बना रहता है। भक्त दूर-दूर से यहां मिट्टी लेने के लिए आते हैं। दिवाली और धनतेरस के मौके पर मंदिर में खास पूजा अर्चना होती है। धनतेरस पर एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। यहां की मिट्टी अपने घर ले जाने के लिए भक्तों के बीच होड़ लगी रहती है।

मंदिर की बनावट

मंदिर के निर्माण को लेकर भी संशय है। मंदिर की बनावट बहुत पुरानी है। कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर 9वीं और 14वीं वीं शताब्दी में बना है। मंदिर के सही निर्माण की जानकारी नहीं है। मंदिर प्रांगण में देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं।

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 (इनपुट-आईएएनएस)

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