गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शहर की भागदौड़ और शोर-शराबे के बीच प्रेम नगर की गलियों में बसा है श्री काल भैरवनाथ मंदिर, जहां समय मानो ठहर सा जाता है। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रावण काल से जुड़ी पौराणिक कथाओं और भैरव बाबा की चमत्कारी शक्ति का जीवंत गवाह है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां साक्षात् भैरव जी निवास करते हैं, जो भक्तों की हर पुकार सुनते हैं। यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि एक ऐसी रहस्यमयी दुनिया का द्वार, जहां इतिहास, तंत्र और चमत्कार एक साथ सांस लेते हैं।रावण काल का रहस्य।
कहते हैं कि प्रेम नगर का भैरवनाथ मंदिर त्रेता युग से जुड़ा है, जब लंकेश रावण ने भगवान शिव की तपस्या कर भैरव जी को प्रसन्न किया था। मान्यता है कि रावण ने भैरव जी की साधना इसी क्षेत्र में की थी, और उनकी कृपा से ही उसे तांत्रिक शक्तियां प्राप्त हुईं।
मंदिर के पुजारी पंडित रमेश शास्त्री बताते हैं, "यहां की मिट्टी में रावण के तप का तेज है। भैरव बाबा ने रावण को वरदान दिया था, लेकिन साथ ही यह भी तय किया कि उनकी शक्ति का दुरुपयोग होने पर वह स्वयं उसका अंत करेंगे।" यह मंदिर उसी पवित्र भूमि पर खड़ा है, जहां भैरव जी का आशीर्वाद रावण को मिला था। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मंदिर का गर्भगृह आज भी उस गुप्त तांत्रिक स्थल से जुड़ा है, जहां रावण ने साधना की थी।
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साक्षात् भैरव जी का निवास
भैरवनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां की मान्यता कि भैरव बाबा स्वयं मंदिर में विराजमान हैं। भक्तों का दावा है कि रात के सन्नाटे में मंदिर से घंटियों की आवाज और रहस्यमयी मंत्रों का स्वर सुनाई देता है। एक स्थानीय निवासी, श्यामलाल, बताते हैं, "मैंने कई बार मंदिर के बाहर रात में एक काले कुत्ते को देखा है, जो भैरव बाबा का वाहन माना जाता है। वह कुत्ता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता, बस मंदिर की परिक्रमा करता है और गायब हो जाता है।" यह कुत्ता भैरवनाथ का प्रतीक माना जाता है, जो मंदिर की रक्षा करता है।
मंदिर में भैरव बाबा की मूर्ति सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि जीवंत ऊर्जा का केंद्र है। भक्तों का कहना है कि जो सच्चे मन से यहां प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। चाहे वह नौकरी की तलाश हो, बीमारी का इलाज, या फिर तंत्र-मंत्र से मुक्ति, भैरव बाबा हर मुसीबत में भक्तों के साथ खड़े रहते हैं।
मंदिर की अनोखी परंपराएं
यह मंदिर अपनी अनोखी रीतियों के लिए भी प्रसिद्ध है। हर रविवार और मंगलवार को भैरवनाथ को विशेष भोग लगाया जाता है, जिसमें सरसों का तेल, मांसाहारी प्रसाद, और कुछ खास मौकों पर मदिरा भी शामिल होती है। यह परंपरा भैरव जी के तांत्रिक स्वरूप को दर्शाती है। मंदिर में हर साल भैरवनाथ जयंती पर विशाल मेला लगता है, जिसमें हजारों भक्त उमड़ते हैं। इस मेले में तांत्रिक साधना, हवन, और रात्रि जागरण के आयोजन होते हैं, जो भक्तों को एक अलौकिक अनुभव देते हैं।
आधुनिकता और आस्था का संगम
प्रेम नगर का भैरवनाथ मंदिर सिर्फ पुरानी मान्यताओं तक सीमित नहीं है। मंदिर प्रबंधन ने आधुनिक तकनीक को भी अपनाया है। भक्त अब ऑनलाइन दर्शन कर सकते हैं, और प्रसाद भी घर बैठे मंगवा सकते हैं। मंदिर के आसपास सीसीटीवी और सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत किया गया है, ताकि भक्त बिना किसी डर के दर्शन कर सकें। फिर भी, मंदिर का आध्यात्मिक आकर्षण आज भी वही है, जो सैकड़ों साल पहले था।
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