ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक महत्व है। यह दिन पूजा-पाठ, व्रत और दान-पुण्य के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को "वट पूर्णिमा" या "वट सावित्री व्रत" के रूप में भी जाना जाता है, खासकर भारत के कुछ हिस्सों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत में। इस दिन का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि का अत्यंत धार्मिक महत्व है। यह दिन पूजा-पाठ, व्रत, स्नान और दान के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
इस दिन करें सत्यनारायण कथा
ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और चंद्रदेव की आराधना से मन को शांति, जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। उदया तिथि के अनुसार, पूजा और व्रत 11 जून को किया जाएगा। इस दिन सत्यनारायण कथा और विशेष पूजन जैसे उपायों का भी अत्यंत महत्व होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजन विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र नदी या स्वच्छ जल से स्नान करें। स्नान के बाद शुद्ध व सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। घर में विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से उनका अभिषेक करें।
पुष्प, तुलसी पत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
सत्यनारायण कथा का पाठ
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। घर में कथा के समय धूप, दीप और फल-फूल अर्पित करें। कथा के बाद प्रसाद वितरण करें।
जरूरतमंदों को करें दान-दक्षिणा
ब्राह्मणों, गायों या जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, दक्षिणा, छाता, जल पात्र और दही-चावल का दान करें। गर्मियों में राहत देने वाला यह दान जरूरतमंदों को करने से पुण्य के साथ-साथ मन की शुद्धता भी मिलती है।
सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी जैसे श्रृंगार की वस्तुएं दान करें। यह उपाय सौभाग्य और समृद्धि देने वाला माना गया है।
पीपल या बरगद की करें पूजा
पीपल या बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाएं, उसके चारों ओर कच्चा सूत (धागा) लपेटें।
सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण करें। इससे वैवाहिक और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पीपल के वृक्ष की जड़ में काले तिल डालकर जल चढ़ाएं। इससे पितृ दोष कम होता है और पूर्वजों की कृपा मिलती है। hinduism | hindu guru | hindu god | hindus | Hindu Mythology