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कार्तिक शुक्ल नवमी: परिवार की सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में मधुरता के लिए करें ये व्रत

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आंवले के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करने का विशेष विधान होता है।

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YBN News
Lakshmipuja

Lakshmipuja Photograph: (ians)

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन को अक्षय नवमी या आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आंवले के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करने का विशेष विधान होता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह तिथि दीवाली के कुछ दिन बाद आती है और इसे धर्म और आस्था का पर्व माना जाता है।

 नवमी तिथि

मालूम हो कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि शुक्रवार सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा मकर राशि में सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे। 

अभिजीत मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष त्योहार नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं।

पुराण के अनुसार

ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह की अराधना करने के लिए बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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पूजन विधि-विधान

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। मंत्र जप करें, 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' और 'विष्णुप्रियाय नमः' का जप भी लाभकारी है। पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें। प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है। अगर कोई भी जातक व्रत को शुरू करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है। आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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