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Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण ने यमुना नदी को कालिया नाग से कैसे दिलाई मुक्ति, जानें पौराणिक कथा

भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य लीला के माध्यम से कालिया नाग को पराजित कर यमुना नदी को उसके विषैले प्रभाव से कैसे मुक्त कराया और अपने भक्तों की कैसे रक्षा की।  हवा में भी जहर घुल गया था, जिससे नदी के किनारे रहने वाले पक्षी, जानवर और पेड़-पौधे भी मरने लगे थे।

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Mukesh Pandit
Krishna Janmashtmi
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हिन्दू धर्म में भगवान कृष्णकी बाल लीलाओं में कालिया नाग मर्दन की कथा सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक है। यह कथा भगवान कृष्ण के साहस, लीला और भक्तों की रक्षा के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है। भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य लीला के माध्यम से यमुना नदी को कालिया नाग के विषैले प्रभाव से मुक्त कराया था। उन्होंने कालिया का वध नहीं किया, बल्कि उसे हमेशा के लिए यमुना नदी छोड़ने का आदेश दिया था।

यमुना नदी में कालिया का आगमन

पौराणिक कथा के अनुसार, कालिया नाग नामक एक विशाल और विषैला सर्प अपनी पत्नियों के साथ यमुना नदी के गहरे कुंड में रहता था। उसके विष के प्रभाव से यमुना का जल काला और इतना जहरीला हो गया था कि उसके आसपास कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता था। हवा में भी जहर घुल गया था, जिससे नदी के किनारे रहने वाले पक्षी, जानवर और पेड़-पौधे भी मरने लगे थे।

कृष्ण का यमुना में कूदना

एक दिन जब भगवान कृष्ण अपने सखाओं और गायों के साथ यमुना के किनारे खेल रहे थे। प्यास लगने पर कुछ गायों और ग्वाल-बालों ने अनजाने में यमुना का विषैला जल पी लिया, जिससे वे तुरंत अचेत हो गए। यह देखकर कृष्ण समझ गए कि यह सब कालिया नाग के कारण हुआ है। अपने सखाओं को पुनः जीवित करने के बाद, कृष्ण ने यमुना नदी को कालिया के विष से मुक्त कराने का निश्चय किया और उन्होंने यमुना के किनारे कदंब के पेड़ पर चढ़कर नदी के विषैले कुंड में छलांग लगा दी।

कालिया से युद्ध और नृत्य

जब कृष्ण यमुना में कूदे, तो कालिया नाग क्रोधित हो गया। उसने कृष्ण पर अपने विष से हमला किया और उन्हें अपने शरीर में जकड़ लिया, लेकिन कृष्ण अपनी लीला से तुरंत उसके चंगुल से निकल गए। इसके बाद, भगवान कृष्ण ने अपने शरीर का भार बढ़ाया और कालिया के फन पर चढ़ गए। उन्होंने अपनी बांसुरी की मधुर धुन पर उसके फन पर नृत्य करना शुरू कर दिया। भगवान के नृत्य से कालिया नाग का अहंकार चूर-चूर होने लगा और उसके सभी फन लहूलुहान हो गए। दर्द से तड़पते हुए कालिया की पत्नियां (नागिनियां) कृष्ण के सामने आईं और अपने पति के जीवन की भीख मांगने लगीं।

कालिया का क्षमा और प्रस्थान

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कालिया की पत्नियों की प्रार्थना और कालिया के पश्चाताप को देखकर कृष्ण का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने कालिया को माफ कर दिया, लेकिन एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि आज से तुम यमुना नदी को छोड़ दो और हमेशा के लिए यहां से चले जाओ। कृष्ण ने अपने पैरों के निशान कालिया के फन पर छोड़ दिए, जिससे गरुड़ भी उस पर हमला नहीं कर सकते थे। भगवान के आदेश का पालन करते हुए, कालिया नाग अपनी पत्नियों और परिवार के साथ यमुना नदी छोड़कर रमणक द्वीप नामक स्थान पर चला गया। इस तरह भगवान कृष्ण ने यमुना नदी को कालिया के विष से मुक्त कराया और अपने भक्तों की रक्षा की।  Krishna Janmashtami 2025 | Kaliya Nag legend | Yamuna river myth 

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