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हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव, यानी जन्माष्टमी महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन नियमों का पालन करने से भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली दिक्कतें दूर होती हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त, शनिवार के दिन रखा जाएगा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। साल 2025 में भगवान श्री कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन सही विधि से पूजा-अर्चना करने से ही शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही जन्माष्टमी के दिन व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।
जन्माष्टमी पर क्या करें?
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान कृष्ण की पूजा करके व्रत का संकल्प लें। आप अपनी श्रद्धानुसार निर्जला (बिना पानी के) या फलाहार (केवल फल खाकर) व्रत रख सकते हैं। इस दिन घर और खुद को पूरी तरह से स्वच्छ रखें। पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करें और खासकर पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। रात 12 बजे से पहले बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं, उनका शृंगार करें और उन्हें पालने में बैठाएं।
कृष्ण को उनका प्रिय भोग क्या है
भगवान कृष्ण को उनका प्रिय भोग, जैसे माखन-मिश्री, धनिया पंजीरी, खीर और फल अर्पित करें। भोग में तुलसी दल डालना न भूलें, क्योंकि तुलसी के बिना भोग अधूरा माना जाता है। दिन भर और रात में, जब तक पूजा न हो जाए, भगवान कृष्ण के भजन और कीर्तन करें। "हरे कृष्ण महामंत्र" का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना बहुत पुण्य का काम माना जाता है। जन्माष्टमी का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष दिन के लिए लोग लंबे समय से तैयारी करते हैं मंदिर को सजाते हैं और व्रत करते हैं।
जन्माष्टमी व्रत विधि
- इस दिन सुबह उठकर स्थान करें और श्री कृष्ण का नाम लेकर व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन फल का सेवन कर सकते हैं।
- निशिता काल यानि रात को 12 बजे श्री कृष्ण के जन्म के बाद विधि-विधान से पूजा अर्चना करें।
- जन्म के बाद श्री कृष्ण को स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं।
- माखन, मिश्री, फल, तुलसी का भोग लगाएं।
- इसके बाद अपने व्रत का पारण करें।
जन्माष्टमी व्रत नियम
- व्रत के दिन अन्न का सेवन ना करें।
- इस दिन निर्जला व्रत रखें और चाहें तो फलाहार ले सकते हैं।
- इस दिन अगर आप व्रत नहीं भी कर रहे हैं तो सात्विक आहार लें। घर में प्याज-लहसुन ना बनाएं।
- इस दिन मांस मदिरा का सेवन ना करें।
- किसी से लड़ाई-झगड़ा ना करें और मन को पवित्र रखें।
- इस दिन घर में मंदिर को अच्छे से साफ करें और सजाएं
- इस दिन भगवान को नए और पीले वस्त्र पहनाएं।
- व्रत करने वालों को इस दिन अन्न, अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन दान का विशेष महत्व है। Krishna Janmashtami vrat | Janmashtami 2025 | Lord Krishna birth festival | Hindu festivals India