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भद्रकाली जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी भद्रकाली के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, जिसे अपरा एकादशी या जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, को मनाया जाता है। 2025 में भद्रकाली जयंती 23 मई को होगी, जब एकादशी तिथि प्रातः 1:12 बजे से शुरू होकर रात 10:29 बजे तक रहेगी। यह त्योहार विशेष रूप से हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और दक्षिण भारत, खासकर केरल में उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां देवी को करियम काली के नाम से पूजा जाता है।
भद्रकाली का स्वरूप और महत्व
भद्रकाली मां काली का एक उग्र, रौद्र, और तेजस्वी रूप हैं, जो धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए प्रकट हुईं। संस्कृत में "भद्रा" का अर्थ "अच्छा" या "मंगलकारी" है, और भद्रकाली को "सुखप्रदा" माना जाता है, जो अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, और सुरक्षा प्रदान करती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रकाली भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न हुईं, जब वे देवी सती की मृत्यु से व्यथित थे। उनका उद्देश्य दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस और पृथ्वी से राक्षसों का नाश करना था। महाभारत के शांति पर्व में भी भद्रकाली को सती के कोप से उत्पन्न युद्ध की देवी के रूप में वर्णित किया गया है।
तंत्र विद्या की अधिष्ठात्री देवी
आयुर्वेद और तंत्र शास्त्र में भद्रकाली को तंत्र विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश, तंत्र-मंत्र की बाधाओं से मुक्ति, और कुंडली के दोष जैसे कालसर्प दोष का निवारण होता है। यह भी माना जाता है कि भद्रकाली जयंती पर पूजा करने से ग्यारह इच्छाएं पूरी हो सकती हैं, विशेष रूप से यदि यह मंगलवार या रेवती नक्षत्र के दिन पड़ती है।
भद्रकाली जयंती की पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान और शुद्धिकरण: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं, और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करते हैं।
कलश स्थापना: पूजा स्थल पर देवी भद्रकाली की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। इसके सामने तांबे या मिट्टी के पात्र में जल भरकर कलश रखा जाता है, जिस पर आम के पत्ते और नारियल स्थापित किए जाते हैं।
अर्पण: देवी को लाल फूल, लाल वस्त्र, सिंदूर, चंदन, रोली, और अक्षत अर्पित किए जाते हैं। भोग के रूप में नारियल, गुड़, मालपुआ, या चने चढ़ाए जाते हैं।
मंत्र और स्तुति: भक्त दुर्गा सप्तशती, काली चालीसा, या भद्रकाली स्तुति का पाठ करते हैं। भद्रकाली का बीज मंत्र "ॐ काली महाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते" का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
आरती और दान: पूजा के अंत में दीप प्रज्वलित कर आरती की जाती है, और परिवार की रक्षा, समृद्धि, और शक्ति की कामना की जाती है। दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को ब्राह्मणों या कन्याओं को भोजन कराकर दान देना पुण्यकारी होता है।
भद्रकाली जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 23 मई 2025 को एकादशी तिथि प्रातः 1:12 बजे से शुरू होकर रात 10:29 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त स्थानीय पंचांग के आधार पर निर्धारित किया जाता है, लेकिन सामान्यतः सुबह के समय पूजा करना उत्तम माना जाता है। यदि यह दिन मंगलवार, रेवती नक्षत्र, या कुंभ मेले के साथ मेल खाता है, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ
भद्रकाली जयंती पर मां भद्रकाली की पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जो आयुर्वेद और तंत्र शास्त्र में भी मान्य हैं:
शत्रु नाश और सुरक्षा: भद्रकाली की पूजा से शत्रुओं का भय समाप्त होता है, और भक्त को अभयता का वरदान मिलता है। यह कुंडली में शत्रु बाधा या ग्रह दोष को दूर करने में सहायक है।
मानसिक शांति और साहस: देवी की आराधना से मानसिक तनाव, भय, और चिंता कम होती है, जिससे आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
रोग निवारण: माना जाता है कि भद्रकाली की पूजा से रोग, दोष, और शोक का नाश होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
आध्यात्मिक उन्नति: तंत्र-मंत्र साधकों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भद्रकाली तंत्र विद्या की अधिष्ठात्री हैं। उनकी साधना से आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है।
सुख-समृद्धि: भद्रकाली की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, और खुशियां आती हैं। hindu religion | Hindu Religious Practices | Indian religious sites
उपयोग और सावधानियां
भद्रकाली जयंती पर व्रत और पूजा का पालन करने से न केवल आध्यात्मिक, बल्कि शारीरिक और मानसिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो तंत्र साधना या ज्योतिषीय समस्याओं से मुक्ति चाहते हैं।
सावधानियां: पूजा विधानपूर्वक और श्रद्धा के साथ करनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं और स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों को व्रत करने से पहले चिकित्सक या आध्यात्मिक गुरु की सलाह लेनी चाहिए। अशुद्ध मन या गलत भाव से पूजा करने से बचें।
भद्रकाली जयंती एक शक्तिशाली और पवित्र पर्व है, जो भक्तों को मां भद्रकाली की कृपा से साहस, सुरक्षा, और समृद्धि प्रदान करता है। यह दिन विशेष रूप से तंत्र साधकों और उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में बाधाओं और दोषों से मुक्ति चाहते हैं। विधिवत पूजा, मंत्र जाप, और दान-पुण्य से यह पर्व भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।