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महामृत्युंजय मंदिर: भगवान धन्वंतरि ने डाली थी औषधियां! असामयिक मृत्यु और रोगों से मुक्ति के लिए आते हैं भक्त

वाराणसी में स्थित महामृत्युंजय महादेव मंदिर अपनी अद्भुत आस्था और चमत्कारी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप को समर्पित है। श्रद्धालु यहां रोग मुक्ति और लंबी आयु की कामना से पूजा-अर्चना करने आते हैं।

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YBN News
MahamrityunjayaTemple

MahamrityunjayaTemple Photograph: (IANS)

नई दिल्ली। वाराणसी में स्थित महामृत्युंजय महादेव मंदिर अपनी अद्भुत आस्था और चमत्कारी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप को समर्पित है। श्रद्धालु यहां रोग मुक्ति और लंबी आयु की कामना से पूजा-अर्चना करने आते हैं। माना जाता है कि यहां जल और बिल्व पत्र चढ़ाने से असाध्य बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर निरंतर जलधारा प्रवाहित होती रहती है। सावन माह और महाशिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और पूरे परिसर में “महामृत्युंजय मंत्र” के जाप की गूंज सुनाई देती है।

“महामृत्युंजय मंत्र” के जाप की गूंज

मालूम हो कि देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं की वजह से जाने जाते हैं। किसी मंदिर में दर्शन से कोर्ट-कचहरी के मामलों से राहत मिलती है, तो कई मंदिर ऐसे हैं, जहां मरीज रोगमुक्त होने की इच्छा लेकर पहूंचते हैं। वाराणसी में महामृत्युंजय महादेव ऐसा ही एक मंदिर है, जहां श्रद्धालु रोग मुक्ति के लिए आते हैं। 

महादेव का मंदिर

जानकारी वाराणसी में महामृत्युंजय महादेव का मंदिर है। माना जाता है कि भक्त यहां आकर असामयिक मृत्यु और रोगों से मुक्ति पाते हैं। इस मंदिर को मौत पर विजय पाने का स्थान भी कहा जाता है। मंदिर में एक चमत्कारी कुआं भी है, जिसको लेकर मान्यता है कि कुएं के पानी में भगवान धन्वंतरि की औषधि और आशीर्वाद है, जिसकी कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है। भक्तों का मानना है कि समुंद्र मंथन के बाद भगवान धन्वंतरि ने इसी कुएं में अपनी औषधियां डाली थीं, जिससे जल चमत्कारी बन गया।

भगवान धन्वंतरि की पूजा

धनतेरस आने वाला है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि को औषधियों का देवता माना जाता है, जिसकी कृपा से हर बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। वाराणसी में भगवान शिव और धन्वंतरि का एक ऐसा मंदिर है, जहां पानी के स्पर्श से ही बीमारियों का नाश होता है।

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मंदिर को लेकर लोगों के बीच एक और कथा प्रचलित है। माना जाता है कि महाभारत के साथ भगवान धन्वंतरि को तक्षक नाग ने डस लिया था और जहर के प्रकोप से बचने के लिए धन्वंतरि भगवान महादेव के शरण में आए और इसी कुएं के पानी से खुद की जान बचाई।

इस दौरान उन्होंने कुएं में कई स्वास्थ्यवर्धक औषधियां भी छोड़ दीं ताकि आम जनमानस की मदद हो सके। भक्त रोगों से मुक्ति पाने के लिए कुएं के जल को पीते हैं और दूर से आने वाले भक्त अपने परिजनों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जल अपने संग लेकर जाते हैं।

कई औषधीय गुण मौजूद

इतना ही नहीं, मंदिर से जुड़े लोगों का मानना है कि कुएं में मौजूद पानी कभी सूखता नहीं है और शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का काम करता है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग भी ये मान्यता है कि मंदिर की मिट्टी और पानी में कई औषधीय गुण मौजूद हैं।

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मंदिर में सिर्फ भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां महादेव की पूजा करने से मौत के भय से मुक्ति मिलती है। सावन और दिवाली के मौके पर मंदिर में खास पूजा का आयोजन होता है और भक्तों की भीड़ लगती है।

 (इनपुट-आईएएनएस)

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