वर्ष में एक बार आने वाली महाशिवरात्र बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर व्रत रखने और शिवलिंग की पूजा करने का विधान है। इसी तरह हर महीने मनाई जाने वाले मासिक शिवरात्रि का भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से महाशिवरात्र का व्रत अधिक फल देता है। मासिक शिवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है। इस दिन की गई पूजा और साधना व्यक्ति को न केवल सांसारिक कष्टों से मुक्ति देती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी अग्रसर करती है।
मासिक शिवरात्र का महत्व
मासिक शिवरात्र हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और हर महीने आने वाली शिवरात्र को "मासिक शिवरात्र" कहा जाता है। साल में 12 बार आने वाली इस तिथि में सबसे प्रसिद्ध "महा शिवरात्र" होती है, जो फाल्गुन मास में मनाई जाती है। मासिक शिवरात्र का महत्व आध्यात्मिक, धार्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक माना गया है। यह दिन आत्मचिंतन, संयम और साधना का प्रतीक होता है। भगवान शिव को संहारक और पुनर्निर्माण का देवता माना जाता है, जो भूत, वर्तमान और भविष्य—तीनों कालों को प्रभावित करने में सक्षम हैं।
व्रत और रात्रि जागरण से पापों का नाश होता है
इस दिन व्रत और रात्रि जागरण करने से पापों का नाश होता है, जीवन में सुख-शांति आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति हेतु व्रत रखती हैं। जून 2025 में मासिक शिवरात्रि सोमवार, 23 जून 2025 को होगी। 23 जून को सुबह 06:12 बजे शिवरात्र तिथि प्रारंभ होगी और 24 जून को सुबह 04:58 बजे समाप्त होगी।
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
मासिक शिवरात्र की पूजा प्रातः स्नान और संकल्प से आरंभ होती है। संकल्प में व्रत, पूजा, उपवास और रात्रि जागरण का संकल्प लिया जाता है। संपूर्ण दिन व्रत रखा जाता है, और रात्रि में शिवलिंग का पूजन, अभिषेक और जप किया जाता है। प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें। फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
शिवलिंग स्थापना : तांबे या मिट्टी के पात्र में शिवलिंग स्थापित करें, यदि घर में पहले से शिवलिंग नहीं है।
पंचामृत से अभिषेक: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत बनाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर गंगाजल से शुद्ध करें।
पूजन सामग्री अर्पण करें:
बिल्वपत्र (त्रिपत्री)
धतूरा, आक (आवश्यक नहीं)
सफेद चंदन
पुष्प (विशेषतः कुमुद और कनेर)
फल व मिठाई
अगरबत्ती और दीप
शिव मंत्र जप:
“ॐ नमः शिवाय” का 108 या 1008 बार जप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जप भी विशेष फलदायक होता है।
अगले दिन पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद उपवास तोड़ें और ब्राह्मण को भोजन कराएं।
मोक्ष की प्राप्ति: शास्त्रों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
शारीरिक व मानसिक शांति: व्रत, ध्यान और मंत्र जप से मानसिक तनाव दूर होता है, आत्मिक बल मिलता है और चित्त स्थिर होता है।
वैवाहिक सुख: विवाहित स्त्रियाँ इस दिन पति की दीर्घायु के लिए उपवास करती हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
संतान सुख की प्राप्ति: संतान की प्राप्ति की कामना रखने वाले भक्त भी इस व्रत को श्रद्धा से रखते हैं।
कर्ज और दरिद्रता से मुक्ति: मासिक शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक और शिवजी की आराधना से आर्थिक संकट दूर होते हैं।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: रात्रि में जागरण और "ॐ नमः शिवाय" के जप से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
23 तारीख को आने वाली मासिक शिवरात्र विशेष रूप से शुभ है, क्योंकि यह सोमवार के दिन पड़ रही है, जो स्वयं भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। इस दिन पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक पूजन करने से जीवन में शुभता, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। hindus | hindu religion not