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RatneshwarMahadevTemples Photograph: (ians)
वाराणसी।उत्तर प्रदेश के वाराणसी में, मणिकर्णिका घाट के नीचे स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर साल के छह से आठ महीने तक गंगा नदी में डूबा रहता है। इसे काशी करवट भी कहा जाता है क्योंकि यह लगभग 9 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है, जो पीसा की मीनार से भी अधिक है। धर्म नगरी काशी में स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में एक बड़ा रहस्य है। दुनिया में भगवान शिव के जितने भी मंदिर हैं, उनमें यह मंदिर अपनी अलग पहचान रखता है। वजह है इसका साल भर में आधे से ज्यादा समय पानी में डूबा रहना।
एक चमत्कार से कम नहीं
मान्यता है कि इस मंदिर को देवी अहिल्याबाई होल्कर की दासी ने बनवाया था, जिसने मंदिर का नाम खुद के नाम पर रखा। अहिल्याबाई ने इसे श्राप दिया कि यह कभी पूर्ण रूप से बाहर नहीं आएगा। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका निर्माण घाट के निचले स्तर पर होने और कमजोर नींव पर टिके होने के कारण यह झुक गया है और गंगा का जलस्तर बढ़ने पर डूब जाता है। सदियों से जलमग्न रहने के बावजूद इसका जस का तस खड़ा रहना एक चमत्कार से कम नहीं है।
मंदिर का निर्माण रत्नाबाई ने करवाया
मान्यता है कि रत्नेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण रत्नाबाई नाम की एक महिला ने करवाया था, जो अहिल्याबाई होल्कर की दासी थीं। रत्नाबाई भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और उन्होंने पूरी श्रद्धा से यह मंदिर बनवाया। कहते हैं कि जब अहिल्याबाई को पता चला, तो उन्हें यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई। क्रोध में उन्होंने रत्नाबाई को श्राप दे दिया कि यह मंदिर कभी पूरी तरह पानी से बाहर नहीं आएगा और इसका शिवलिंग हमेशा गंगा के पानी में डूबा रहेगा। अब इस श्राप की कहानी कितनी सच है, यह कोई पक्के रूप में नहीं कह सकता, लेकिन लोगों की आस्था और मान्यता आज भी यही कहती है कि मंदिर का पानी में डूबा रहना उसी श्राप का असर है। यही वजह है कि बहुत से लोग इसे चमत्कार भी मानते हैं।
यही बात इसे रहस्यमयी बनाती
यह मंदिर गंगा नदी के बहुत करीब, लगभग पानी के स्तर पर ही बनाया गया है। जब गंगा का जलस्तर बढ़ जाता है, तो मंदिर डूब जाता है। साल में कुछ ही दिन मंदिर में विराजमान शिवलिंग के दर्शन हो पाते हैं। इसके बावजूद मंदिर की संरचना इतनी मजबूत है कि यह सदियों से पानी और तेज बहाव को झेलते हुए भी जस की तस खड़ी है। यही बात इसे और भी रहस्यमयी बनाती है।
शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक
मालूम हो कि महीनों तक यह मंदिर गंगा की गोद में समाया रहता है और सिर्फ कुछ ही दिनों के लिए पूरी तरह दिखाई देता है। अब सवाल यह है कि क्या यह श्राप का असर है या फिर कोई चमत्कार? एक और दिलचस्प बात यह है कि यह मंदिर लगभग 9 डिग्री तक झुका हुआ है। लोग कहते हैं कि यह झुकाव भी किसी दिव्य शक्ति का संकेत है, क्योंकि इतने पानी, बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी मंदिर गिरा नहीं।
इसके अलावा, मंदिर का शिवलिंग पूरे साल पानी में डूबा रहता है। सिर्फ तभी दर्शन मिलते हैं जब गंगा का जलस्तर बहुत कम हो जाता है। भक्त मानते हैं कि पानी में डूबा शिवलिंग भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक है और यहां प्रार्थना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
(इनपुट-आईएएनएस)
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