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Navratri Photograph: (IANS)
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा के प्राचीन और सिद्ध मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। प्रदेश भर में विंध्याचल धाम, दुधी माई का मंदिर, शीतला माता धाम और झूंसी स्थित मां काली मंदिर जैसे शक्तिपीठों पर श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं। माना जाता है कि इन मंदिरों में मां की विशेष कृपा बरसती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में यहां भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं।
शक्ति उपासना और साधना का महापर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो गया है। यह पर्व शक्ति की उपासना और साधना का महापर्व है। इस अवसर पर देवी मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। उत्तर प्रदेश में मां दुर्गा के कई प्राचीन और सिद्ध मंदिर स्थित हैं। विशेष रूप से यहां के पांच शक्तिपीठ अत्यंत पूजनीय माने जाते हैं, जिनका उल्लेख देवी पुराण में भी मिलता है।
श्रीउमा शक्तिपीठ :
वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित यह शक्तिपीठ 'उमा देवी मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां माता सती के केश और चूड़ामणि गिरे थे। यह स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां वर्षभर भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
रामगिरि शक्तिपीठ :
चित्रकूट के रामगिरि स्थान पर स्थित इस शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि यहां सती का दायां वक्ष गिरा था। यहां माता को शिवानी नाम से पूजा जाता है। नवरात्रि में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है।
विशालाक्षी शक्तिपीठ :
वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट के पास स्थित विशालाक्षी शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है। यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी और वे विशालाक्षी एवं मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं। वाराणसी का धार्मिक महत्व इस शक्तिपीठ से और भी बढ़ जाता है।
पंचसागर शक्तिपीठ :
इस शक्तिपीठ का वास्तविक स्थान स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, किंतु मान्यता है कि यहां माता की निचली दाढ़ गिरी थी। इस कारण यह स्थान वाराही शक्ति के रूप में जाना जाता है।
प्रयाग शक्तिपीठ :
संगम तट पर स्थित प्रयागशक्तिपीठ का महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि यहां सती का हस्तांगुल गिरा था। प्रयागराज में तीन मंदिर ललितादेवी, कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी धाम को शक्तिपीठ माना जाता है। संगम स्नान और इन मंदिरों के दर्शन-पूजन को मोक्षदायक माना जाता है।
उत्तर प्रदेश के ये पांच शक्तिपीठ न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा भी हैं। शारदीय नवरात्रि जैसे पर्व इन स्थानों की महिमा को और बढ़ा देते हैं। यहां दर्शन और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें शक्ति व शांति की प्राप्ति होती है।
(इनपुट-आईएएनएस)