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नवरात्र को हिंदू सनातन परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण है। शारदीय नवरात्र में प्रथम शैलीपुत्री की पूजा की जाती है। बेहद सरल और सहज सा मंत्र है। दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन देवीकवच के अंतर्गत आता है। ये दुर्गा सप्तशती के किसी विशेष अध्याय में नहीं है, बल्कि ब्रह्मा जी द्वारा वर्णित किया गया है और देवीकवच के कुल 56 श्लोकों के भीतर मिल जाता है। ये देवी के नौ रूपों (नवदुर्गा) का वर्णन करता है। ब्रह्मा जी ने महात्मना देवी के नौ रूपों का संक्षेप में वर्णन किया है। प्रथम दिवस इसके मनन से मां के नौ रूपों का स्मरण होता है।
इस प्रकार का मां शैलपुत्री का मंत्र
मंत्र कुछ यूं है- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्मांडा चतुर्थकं॥ पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमं॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिता॥यानी प्रथम मां शैलपुत्री हैं और दूसरी ब्रह्मचारिणी तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवीं स्कन्दमाता और छठी कात्यायानी हैं। सातवीं कालरात्रि और आठवीं महागौरी हैं। ये मां के नौ रूप हैं।
शारदीय नवरात्र सोमवार से शुरू
2025 की शारदीय नवरात्र 22 सितबंर सोमवार से शुरू हो रही है और दशमी 2 अक्टूबर को है। इसी दिन कलश या घट स्थापना की जाती है। पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 01:23 बजे शुरू होगी और 23 सितंबर की रात 02:55 बजे तक रहेगी। उदय काल की तिथि मान्य होती है इसलिए 22 सितंबर को ही घटस्थापना होगी।
चूंकि इस बार नवरात्र की प्रतिपदा सोमवार को है इसलिए मान्यतानुसार मां भवानी हाथी पर सवार हो आ रही हैं। देवी का गजवाहन आगमन सुख-समृद्धि और अच्छी वर्षा का प्रतीक माना जाता है। वहीं मां इस बार भक्तजनों के कंधे यानी नरवाहन पर सवार होकर विदा होंगी। आईएएनएस
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