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पुत्रदा एकादशी: अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ाने के लिए करें भगवान विष्णु की आराधना

पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती हैं और भगवान विष्णु की आराधना और पूजा के लिए मनाई जाती हैं। भाद्रपद माह आने वाली एकादशी एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। 

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Mukesh Pandit
Putrada Ekadashi
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अगस्त माह 2025 में दो महत्वपूर्ण एकादशी हैं –पुत्रदा एकादशी और अजा एकादशी। दोनों एकादशी हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती हैं और भगवान विष्णु की आराधना और पूजा के लिए मनाई जाती हैं। भाद्रपद माह आने वाली एकादशी एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। यह अवसर हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।  पुत्रदा एकादशी हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर भी प्रदान करती हैं।  इस एकादशी को कैसे मनाया जाता है? क्या आप जानते हैं कि अगस्त की पुत्रदा एकादशी का महत्व क्या है?

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा से इस व्रत को करने से संतान सुख प्राप्त होता है। यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है। यह न केवल संतान प्राप्ति के लिए, बल्कि संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। एक कथा के अनुसार, भद्रावती नगरी के राजा सुखेन ने यह व्रत रखा था, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस कथा से इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है।

व्रत की पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजा विधि बहुत ही विधिवत और श्रद्धा के साथ की जाती है। प्रातःकाल स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प में पुत्र प्राप्ति या संतान के कल्याण की कामना करें। इस दिन पूर्ण उपवास या फलाहार करें। नमक, चावल और अन्य तामसिक भोजन से बचें।

कैसे शुरू करें पूजा 

भगवान विष्णु को गंगाजल या दूध से स्नान कराएं। चंदन, हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। तुलसी पत्र और पीले फूल चढ़ाएं।धूप-दीप जलाकर आरती करें। विष्णु सहस्रनाम या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार जाप करें। भगवान को सात्विक भोजन (खीर, फल, मिठाई आदि) अर्पित करें। पुत्रदा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। यह कथा भगवान विष्णु की महिमा और इस व्रत के फल को दर्शाती है।

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पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और संतान प्राप्ति या संतान के कल्याण की प्रार्थना करें। दिन के अंत में ब्राह्मणों को दान करें। इसमें अन्न, वस्त्र, या धन दान शामिल हो सकता है।

व्रत का पारण

अगले दिन (द्वादशी तिथि) को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। फिर स्वयं सात्विक भोजन ग्रहण करें। इस दिन क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचारों से बचें। मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन न करें।, ब्रह्मचर्य का पालन करें। पूजा और जप में पूरी श्रद्धा और भक्ति रखें। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और संतान सुख प्रदान करते हैं।  Putrada Ekadashi 2025 | hindu | hindu bhagwa | Hindu festivals | hindu god | hindu guru

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