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Ram Navami पर विशेष शुभ योग: जानें कब और कैसे करें पूजा

राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान राम की पूजा की जाती है।

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Ranjana Sharma
Ram Navami
नई दिल्‍ली,वाईबीएन नेटवर्क
राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान राम की पूजा, व्रत, भजन-कीर्तन और रामायण का पाठ किया जाता है। जिससे भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।​ इस वर्ष राम नवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी। नवमी तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल को शाम 7:26 बजे से होगा और समापन 6 अप्रैल को शाम 7:22 बजे पर होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल को सुबह 11:08 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:24 बजे है। ​

राम नवमी के दिन बनने वाले शुभ योग

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  • रवि पुष्य योग: यह योग प्रात: 6:18 बजे से अगले दिन 7 अप्रैल को 6:17 बजे तक रहेगा। इस अवधि में किए गए शुभ कार्य विशेष फलदायी होते हैं। ​
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग पूरे दिन रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ​
  • रवि योग: यह भी पूरे दिन रहेगा, जो सकारात्मक ऊर्जा और कार्यों में सफलता का प्रतीक है। ​

राम नवमी की पूजा विधि

  • स्नान और स्वच्छता: सुबह उबटन और स्नान के बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल की स्वच्छता करें।
  • मूर्ति स्थापना: स्वच्छ चौकी पर भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  • अभिषेक: दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से भगवान का अभिषेक करें।​
  • पूजा: भगवान राम के मंत्रों का जाप करें, रामचरितमानस का पाठ करें, फूल, फल और मिठाईयों का भोग अर्पित करें।​
  • आरती: पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।​
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राम नवमी का महत्व

  • धार्मिक महत्व: यह दिन भगवान राम के जन्म का प्रतीक है, जिन्होंने धर्म, सत्य और मर्यादा का पालन किया।​
  • आदर्श जीवन की प्रेरणा: भगवान राम के जीवन से सत्य, कर्तव्यपरायणता, और पारिवारिक मूल्यों की शिक्षा मिलती है, जो समाज में नैतिकता और सद्भाव को बढ़ावा देती है।​
  • सांस्कृतिक एकता: राम नवमी के अवसर पर आयोजित भजन, कीर्तन, रथयात्राएं और रामलीला समाज को एकजुट करती हैं, जिससे सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण होता है।​ राम नवमी का पर्व हमें अपने जीवन में भगवान राम के आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है, जिससे हम एक सत्यमार्गी और धर्मनिष्ठ जीवन जी सकते हैं।

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