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काशी का रहस्य: मां सिद्धेश्वरी मंदिर का 'चंद्रकूप' कुआं करता है जीवन-मृत्यु की भविष्यवाणी

काशी में स्थित मां सिद्धेश्वरी मंदिर के परिसर में एक प्राचीन और रहस्यमयी कुआं है, जिसे चंद्रकूप के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह कुआं जीवन-मृत्यु की भविष्यवाणी करता है। इस कुआं का निर्माण चंद्र देवता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था।

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YBN News
ChandrakoopKashi

ChandrakoopKashi Photograph: (ians)

नई दिल्ली। धर्म और रहस्य की नगरी काशी में स्थित मां सिद्धेश्वरी मंदिर के परिसर में एक प्राचीन और रहस्यमयी कुआं है, जिसे चंद्रकूप के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह कुआं जीवन-मृत्यु की भविष्यवाणी करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस कुआं का निर्माण चंद्र देवता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था, जिन्होंने इसे अलौकिक शक्तियां प्रदान कीं।

रहस्यमयी कुआं

मालूम हो कि काशी, जिसे भगवान शिव की नगरीकहा जाता है, वहां मंदिरों की कमी नहीं है। जितने मंदिर काशी में भगवान शिव के मिल जाएंगे, उतने ही मंदिर मां पार्वती के अलग-अलग रूपों में मिल जाएंगे।वाराणसी में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जहां मात्र कुएं में झांकने से पता चल सकता है कि मृत्यु कब होगी। दूर-दूर से भक्त इस कुएं में अपनी परछाई देखने के लिए आते हैं।

अशुभ संकेत

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति इस चंद्रकूप में झांकने पर अपनी परछाई (प्रतिबिंब) स्पष्ट रूप से देख लेता है, तो इसका अर्थ है कि उसका जीवन अभी सुरक्षित है। लेकिन अगर किसी की परछाई पानी में दिखाई नहीं देती है, तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है, जो यह दर्शाता है कि अगले छह महीने के भीतर उस व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी जिज्ञासा और आस्था लेकर इस अनोखे कुएं को देखने और अपनी परछाई को जानने के लिए यहां आते हैं।

भगवान सिद्धेश्वर महादेव

मालूम हो कि वाराणसी में प्राचीन मां सिद्धेश्वरी का मंदिर मौजूद है, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं। मंदिर को चंद्रकूप मंदिर और चंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर विश्वनाथ गली के पास, सिद्धेश्वरी मोहल्ले में स्थित है। मंदिर को 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। ये मंदिर मां दुर्गा के नौवें रूप, मां सिद्धिदात्री, को समर्पित है। माना जाता है कि मंदिर में विराजमान मां सिद्धियों की देवी हैं और उनकी प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। मंदिर के गर्भगृह में मां के साथ चांदी के शिवलिंग के रूप में भगवान सिद्धेश्वर महादेव विराजमान हैं।

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मंदिर में प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु और छोटे से परिसर में भगवान शिव का शिवलिंग भी विराजमान है। मंदिर बहुत प्राचीन है, जिसमें देखरेख के साथ बदलाव किए जा रहे हैं। इसी मंदिर के परिसर में चंद्रकूप है, जो बाकी कुओं से अलग है। 

जीवन-मृत्यु की भविष्यवाणी

माना जाता है कि मंदिर में सभी भक्तों को कुएं में झांक कर अपने प्रतिबिंब को देखना चाहिए। अगर कुएं में खुद का प्रतिबिंब दिखता है, तो ये संकेत हैं कि उम्र दीर्घायु होगी, लेकिन अगर प्रतिबिंब नहीं दिखता, तो ये माना जाता है कि आने वाले 6 महीनों में मृत्यु तय है। भक्तों का ये भी मानना है कि प्रतिबिंब न दिखने पर रोजाना कुएं के पास आकर भगवान का नाम जप कर अपने प्रतिबिंब को देखना चाहिए, इससे मृत्यु का भय कम होता है। भगवान चंदेश्वर भगवान शिव का ही रूप हैं, जो गर्भगृह में सिद्धेश्वरी के साथ विराजमान हैं। 

कुएं को लेकर किंवदंतियां

कुएं को लेकर किंवदंतियां भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि कुएं का निर्माण खुद चंद्र देवता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था। उन्होंने भगवान शिव से कुएं को गुण प्रदान करने की प्रार्थना की थी। सोमवार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भक्त मंदिर में आकर इसी जल से भगवान चंदेश्वर की पूजा करते हैं और सभी दुखों और बीमारियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं।

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 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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