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Shardiya Navratri: नवरात्रि में करें नवदुर्गा की विधिपूर्वक पूजा, जानें कलश स्थापना की सही विधि

शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसमें कलश स्थापना की विशेष महत्व है। आइए जानतें हैं 9 ​देवियों के 9 मंत्रों का जाप की विधि और कलश स्थापना कैसे करें। 

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Mukesh Pandit
Sardiya navratra 2025

हिंदू सनातन परपंरामें शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इसमें नौ दिनों तक मां देवी के नौ स्वरूपों  मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायिनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर यानी सोमवार से प्रारंभ होकर एक अक्टूबर महानवमी तक चलेंगे। यदि आपको नवदुर्गा की पूजा करनी है तो आपको 9 देवियों के 9 मंत्रों के बारे में जानना चाहिए और विधिपूर्वक घर में कलश स्थापना करनी चाहिए। नवरात्रि में 9 ​देवियों के 9 मंत्रों का जाप करने से आपकी किस्मत बदल सकती हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को नवदुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। नवदुर्गा के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि, संतान, धन, वैभव, ​शक्ति आदि की प्राप्ति होती है। 

आइए सर्वप्रथम जानें कलश (घट) स्थापना करने की सही विधि 

कलश स्थापना के लिए सामग्री
मिट्टी का कलश या लोटा
गंगाजल/शुद्ध जल
सुपारी, सिक्का, हल्दी, चावल (अक्षत)
आम या अशोक के 5 पत्ते
नारियल (साफ वस्त्र या लाल चुनरी में लपेटा)
जौ (सात अनाज भी मिलाया जा सकता है)
मिट्टी, पात्र, मौली (रक्षासूत्र)
चौकी एवं पीला-लाल कपड़ा, दीपक
देवी प्रतिमा या तस्वीर

कलश स्थापना विधि

शुभ मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल की सफाई करके मुख्य स्थान पर लकड़ी की चौकी रखें। उस चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर थोड़ी सी मिट्टी फैलाएं। उस मिट्टी में जौ डालकर थोड़ा गीला करें ताकि अंकुरण हो सके। अब वहीं पर या चौकी के आगे कलश रखें। कलश में गंगा जल या शुद्ध जल डालें। सुपारी, सिक्का, हल्दी व चावल डालें। कलश के गले पर मौली बाँधें और कलश के ऊपर आम या अशोक के पत्ते लगाएं। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें। देवी प्रतिमा/तस्वीर स्थापित करें, दीप जलाएं और माँ दुर्गा का ध्यान कर पूजा व मंत्र जाप करें। नौ दिनों तक कलश और देवी की प्रतिदिन पूजा, आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2025    22 सितंबर 2025, 06:09 AM से 08:06 AM
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त    11:49 AM से 12:38 PM

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मंत्र जाप की विधि

पूजा स्थान पर स्नान करके साफ कपड़े पहनें। कलश एवं देवी का ध्यान कर दीप जलाएं। नौ दिनों में प्रत्येक देवी स्वरूप के लिए संबंधित मंत्र का जाप करें (कम से कम 11, 21, 51 या 108 बार)। जाप करते समय मन और वाणी को शुद्ध रखें, बीज मंत्र, स्तुति और प्रार्थना मंत्रों का जप करें। दुर्गा सप्तशती, सप्तश्लोकी और आरती का पाठ भी कर सकते हैं।

शारदीय नवरात्रि के प्रमुख जाप मंत्र

  • दिन    देवी स्वरूप    बीज मंत्र    स्तुति मंत्र
  • शैलपुत्री    "ॐ ह्रीं शिवायै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  • ब्रह्मचारिणी    "ॐ श्री अम्बिकायै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  • चंद्रघंटा    "ऐं श्रीं शक्तयै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  •  कूष्मांडा    "ऐं ह्रीं कूष्माण्डायै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  •  स्कंदमाता    "ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  •  कात्यायनी    "क्लीं श्रीं कात्यायन्यै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  •  कालरात्रि    "क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  • महागौरी    "श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
  •  सिद्धिदात्री    "ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः"    "या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"

सामान्य एवं शक्तिशाली मंत्र

दुर्गा सप्तश्लोकी: "या देवी सर्वभूतेषु... नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
नवार्ण मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै"
सर्वमंगलमांगल्ये मंत्र: "सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणी नमोऽस्तुते॥"
गायत्री या महामृत्युंजय मंत्र का भी पाठ कर सकते हैं।
इन मंत्रों के विधिपूर्वक जाप से नवदुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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मंत्र जाप की विधि

पूजा स्थान पर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
कलश एवं देवी का ध्यान कर दीप जलाएं।
नौ दिनों में प्रत्येक देवी स्वरूप के लिए संबंधित मंत्र का जाप करें (कम से कम 11, 21, 51 या 108 बार).
जाप करते समय मन और वाणी को शुद्ध रखें, बीज मंत्र, स्तुति और प्रार्थना मंत्रों का जप करें.
दुर्गा सप्तशती, सप्तश्लोकी और आरती का पाठ भी कर सकते हैं

नवरात्रि में दुर्गा के पूजा मंत्र

मां शैलपुत्री का बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:
शैलपुत्री स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना मंत्र: वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ shardiya navratri 2025 | Navratri 2025 | Navratri n

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