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श्रावण चन्द्र दर्शन, मन की शांति और समृद्धि का विशेष पवित्र दिवस, जाने क्या है महत्व

चन्द्र दर्शन से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है, जो मन को शांति और समृद्धि प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन, भावनाओं और समृद्धि का कारक है। जो मन को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

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Mukesh Pandit
Chander Darshan
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श्रावण मास में अमावस्या के बाद चन्द्र दर्शन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पवित्र माह भगवान शिव को समर्पित होता है, और चन्द्र दर्शन से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है, जो मन को शांति और समृद्धि प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन, भावनाओं और समृद्धि का कारक है। श्रावण में चन्द्र दर्शन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह दिन विशेष रूप से नवविवाहित जोड़ों, गर्भवती महिलाओं और धन-धान्य की कामना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।

चंद्रमा का पहला अर्धचंद्राकार दर्शन 

चन्द्र दर्शन का समय अमावस्या के अगले दिन, द्वितीया तिथि को सूर्यास्त के बाद होता है, जब चंद्रमा का पहला अर्धचंद्राकार दर्शन होता है। इस वर्ष, 26 जुलाई 2025 को श्रावण मास की द्वितीया तिथि को चन्द्र दर्शन होगा। इस दिन चंद्रमा सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जो इसे और भी शुभ बनाता है। चंद्र दर्शन अमावस्या के उपरांत चंद्र देव के पुनः आगमन एवं उनके दर्शन की परंपरा है। हिंदू धर्म में सूर्य दर्शन की ही तरह चंद्र दर्शन का भी अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन श्रद्धालु चंद्र देव की पूजा एवं विशेष प्रार्थना करते हैं। अमावस्या के तुरंत बाद चंद्रमा का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना गया है।

चंद्र दर्शन उत्सव का महत्व

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अमावस्या के कारण चंद्र देव के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं अतः चंद्र देव के पुनः दर्शन के रूप में चंद्र दर्शन मनाया जाता है। चंद्रमा के दर्शन के लिए सबसे अनुकूल समय सूर्यास्त के ठीक बाद माना गया है। चंद्र दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त समय की भविष्यवाणी करना पंचांग निर्माताओं के लिए भी एक कठिन कार्य है।
चंद्र दर्शन की गणना देश के अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग हो सकती है। चंद्र दर्शन को देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान चंद्र की पूजा करते हैं, तथा इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना सौभाग्यशाली माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे समृद्धि एवं खुशियां आती हैं।

चंद्र दर्शन पूजा विधि

सूर्यास्त से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाएं। चांदी या तांबे के पात्र में जल, दूध, चावल, और सफेद फूल रखें। चंद्रमा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। चंद्रमा के मंत्र "ॐ सों सोमाय नमः" का 108 बार जाप करें। साथ ही, "ॐ चं चन्द्रमसे नमः" मंत्र का पाठ भी लाभकारी है। सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के दर्शन करें और जल-दूध मिश्रित अर्घ्य अर्पित करें। प्रसाद में खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं और परिवार में बांटें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुएं जैसे दूध, चावल, या सफेद वस्त्र का दान करें।

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चन्द्र दर्शन से मानसिक शांति

चन्द्र दर्शन से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह पूजा पारिवारिक सौहार्द और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाती है। विशेष रूप से, श्रावण मास में यह पूजा भगवान शिव और चंद्रमा दोनों की कृपा दिलाती है। पौराणिक कथाओं में, चंद्र देव को सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक माना जाता है। वह 'नवग्रह' के एक महत्वपूर्ण ग्रह भी है, जो पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करते हैं। चंद्रमा को एक अनुकूल ग्रह एवं ज्ञान, पवित्रता और अच्छे इरादों से जुड़ा देव मन गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति के ग्रह में चंद्रमा अनुकूल स्थिति में है, वह अधिक सफल और समृद्ध जीवन जीएगा। इसके अलावा चंद्रमा हिंदू धर्म में और भी अधिक प्रभावशाली है क्योंकि चंद्र कैलेंडर की गणनायें चंद्रमा की गति के आधार पर की जाती हैं।

चंद्रमा भगवान को पशु और पौधों के जीवन का पोषणकर्ता

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हिंदू पौराणिक कथाओं में, चंद्र देव या चंद्रमा भगवान को पशु और पौधों के जीवन का पोषणकर्ता भी माना गया है। उनका विवाह 27 नक्षत्रों से हुआ है, जो राजा प्रजापति दक्ष की बेटियाँ हैं और बुद्ध या बुध ग्रह के पिता भी हैं। इसलिए भक्त सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति हेतु चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करते हैं। Shravan Chandra Darshan | Chandra Darshan Hindu tradition | shravan month religious events not present i

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