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LakshmiKuberaTemple Photograph: (IANS)
नई दिल्ली। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के रत्नमंगलम और वंडालूर के पास स्थित श्रीलक्ष्मी कुबेर मंदिर दीपावली के मौके पर भक्तों से खचाखच भर जाता है। इस दिन मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों और दीपों से सजाया जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है। भक्त धन, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन यहां पूजा करने से घर में स्थायी सुख-समृद्धि और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
घर में स्थायी सुख-समृद्धि
मालूम हो कि दीपावली और धनतेरसके त्योहार में कुछ दिन का समय बचा है। इन त्योहारों पर विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। दोनों को ही धन का देवता माना जाता है, लेकिन तमिलनाडु में एक ऐसा मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ भक्तों को दर्शन देते हैं। यह दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर एक साथ विराजमान हैं।
श्रीलक्ष्मी कुबेर मंदिर
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के रत्नमंगलम और वंडालूर के पास श्रीलक्ष्मी कुबेर मंदिर है, जहां दीपावली के दिन मंदिर को फूलों से सजाकर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए खास अनुष्ठान किए जाते हैं। मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा काले पत्थर से बनाई गई है, और मंदिर में भगवान कुबेर अकेले नहीं बल्कि अपनी पत्नी सिद्धरानी के साथ विराजित हैं। तीनों प्रतिमाओं के पास धन को आकर्षित करने वाली मछली और कछुए की प्रतिमा रखी गई है। मछली और कछुए को धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लोग आमतौर पर भी घर में क्रिस्टल का कछुआ रखते हैं। ये भी कहा जाता है कि मछलियों को आटा खिलाने से धन में वृद्धि होती है और घर सुख-समृद्धि से भर जाता है।
दीपावली और धनतेरस पर भक्तों की भीड़
माना जाता है कि दीपावली के दिन जो भक्त मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करता है, तो उसकी झोली धन-धान्य और समृद्धि से भर जाती है। दीपावली और धनतेरस के मौके पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है, जो अपनी आर्थिक तंगी से निकलने के लिए मां लक्ष्मी के दर पर आते हैं। मंदिर की मान्यता है कि भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग का इस्तेमाल होता है। भक्त हरे रंग का कपड़ा भी भगवान कुबेर को अर्पित करते हैं और हरी पत्तियां और फूल भी चढ़ाते हैं। वहीं, मां लक्ष्मी को कमल के फूल सबसे ज्यादा प्रिय हैं और पूजा में कमल के फूल जरूर रखे जाते हैं। पर्यटन की दृष्टि से भी मंदिर बहुत खास है क्योंकि मंदिर 4,000 वर्ग फुट में बना है और मंदिर को बनाने में 30 लाख रुपये से ज्यादा लगे हैं। मंदिर का निर्माण राजलक्ष्मी कुबेर ट्रस्ट ने कराया है, जो आज भी मंदिर की देखरेख कर रहा है।
(इनपुट-आईएएनएस)