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Trimbakeshwartemple Photograph: (ians)
नासिक। महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। पितृ पक्ष का समय हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व का होता है। लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं, उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विविध धार्मिक अनुष्ठान भी कराते हैं। यहां विशेष रूप से की जाने वाली नारायण नागबली पूजा को शास्त्रसम्मत और अत्यंत प्रभावशाली अनुष्ठान माना जाता है। इस पूजा का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि माना जाता है कि इसे त्र्यंबकेश्वर में करने से ही इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
शास्त्रसम्मत और अत्यंत प्रभावशाली
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मालूम हो कि यह अत्यंत प्रभावशाली और शास्त्रसम्मत पूजा है 'नारायण नागबली', जो विशेष रूप से महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में संपन्न होती है। यह पूजा मुख्य रूप से पितरों की आत्मा की शांति, उनके मोक्ष और वंशजों की समृद्धि के लिए की जाती है। इसमें दो भाग होते हैं – नारायण बली, जो अकाल मृत्यु को प्राप्त आत्माओं की मुक्ति के लिए होता है, और नागबली, जो नागदेवता की अशांति को दूर करने के लिए किया जाता है।
बाधाओं से मुक्ति
वहीं, श्रद्धालु इस अनुष्ठान के माध्यम से पितृदोष निवारण, कालसर्प दोष शांति और जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं। इस कारण हर साल हजारों लोग त्र्यंबकेश्वर आकर इस विशेष पूजा का आयोजन करते हैं।
जैसे ही पितृपक्ष का आरंभ 8 सितंबर को हुआ, वैसे ही त्र्यंबकेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। हर उम्र, हर वर्ग और हर कोने से लोग अपने पितरों के उद्धार की कामना लेकर इस धार्मिक स्थल की ओर रुख कर रहे हैं।
पितरों के उद्धार
त्र्यंबकेश्वर के पुरोहित संघ के अध्यक्ष मनोज विनायक थेटे ने बात करते हुए बताया कि पितृ पक्ष के इन पुण्य दिनों में देशभर के श्रद्धालु, विशेषकर महाराष्ट्र के कोने-कोने से, यहां पर आ रहे हैं। सभी लोग अपने पितरों की आत्मा को शांति और सद्गति प्राप्त होने की कामना लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि नारायण नागबली पूजा त्र्यंबकेश्वर में करने से ही उसका पूर्ण फल मिलता है। यही कारण है कि यह पूजा न तो किसी अन्य आश्रम में की जाती है, न मठों में, और न ही किसी सामान्य मंदिर में। त्र्यंबकेश्वर की भूमि को ही इस पूजा के लिए शास्त्रों में प्रमाणित और सिद्ध स्थान माना गया है।
नारायण नागबली जैसी विशेष पूजा
उन्होंने आगे बताया कि त्र्यंबकेश्वर धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिक परंपरा से भी जुड़ा हुआ है। त्र्यंबकेश्वर में गोदावरी और अहिल्या नदियों का संगम, जिसे शटकुल कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है। धर्मशास्त्रों और शंकराचार्य परंपरा के अनुसार, पितरों की सद्गति और पितृदोष निवारण के लिए यही स्थान सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी कारण नारायण नागबली जैसी विशेष पूजा केवल यहीं होती है। पितृपक्ष के चलते इस समय त्र्यंबकेश्वर एक धार्मिक और आध्यात्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में जीवंत हो उठा है।