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द्विपुष्कर योग में ये मंगलवार, हनुमान जी की पूजा का है विशेष महत्व

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित माना जाता है। जब यह दिन द्विपुष्कर योग के संयोग के साथ आता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, द्विपुष्कर योग में किए गए शुभ कार्यों का फल दोगुना मिलता है।

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YBN News
Hanuman

Hanuman Photograph: (IANS)

में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व

 को द्विपुष्कर योग में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमानको समर्पित माना जाता है। जब यह दिन द्विपुष्कर योग के संयोग के साथ आता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, द्विपुष्कर योग में किए गए शुभ कार्यों का फल दोगुना मिलता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु पर विजय, भय से मुक्ति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। भक्त यदि हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल की वृद्धि होती है।

मंगलवार को द्विपुष्कर योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्विपुष्कर योग (रविवार, मंगलवार या शनिवार) को चंद्र तिथि (द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी) और नक्षत्र (चित्रा, स्वाति, या धनिष्ठा) के एक विशिष्ट संयोग से बनता है। इस योग में किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल दोगुना प्राप्त होता है। इसलिए, द्विपुष्कर योग में शुभ कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी होता है। इसी के साथ ही मंगलवार का दिन भी है, जो रामभक्त हनुमान और मंगल ग्रह को समर्पित है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर मंगलवार को द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहेंगे। वहीं, चंद्रमा सुबह के 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 24 सितंबर तक कन्या राशि में रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 3 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

स्कंद पुराण

स्कंद पुराण में उल्लेखित है कि बजरंगबली का जन्म भी मंगलवार को हुआ था। रामभक्त हनुमान को मंगल ग्रह के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर हो जाती हैं। साथ ही, मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं भी समाप्त होती हैं।

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पूजा विधि-विधान

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें।

लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक

शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस पावन दिन पर हनुमान जी की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करें।

 (इनपुट-आईएएनएस)

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