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मां लक्ष्मी ने क्यों चुना इस पक्षी को अपना खास वाहन, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कहानी?…

हिंदू धर्म में क़रीब 33 कोटि देवी-देवताओं का  उल्लेख किया जाता है। जिसमें से कई देवी देवताओं की पूजा की जाती हैं। शास्त्रों में सभी देवी देवताओं को किसी न किसी पशु और पक्षी के साथ दिखाया गया है। 

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Mukesh Pandit
Luxmi Poojan
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हिंदू धर्म में क़रीब 33 कोटि देवी-देवताओं का  उल्लेख किया जाता है। जिसमें से कई देवी देवताओं की पूजा की जाती हैं। शास्त्रों में सभी देवी देवताओं को किसी न किसी पशु और पक्षी के साथ दिखाया गया है। यानी हर देवी-देवता की अपनी-अपनी सवारी या उनका कोई प्रिय पशु या पक्षी होता है। ऐसी मान्यता है कि सभी देवी और देवता अपने प्रिय वाहन के रूप में किसी न किसी पशु या पक्षी की सवारी करते थे। इसलिए, हिंदू धर्म में पशु पक्षी की भी पूजा की जाती है। मगर, एक पक्षी ऐसा भी है जिसे लेकर हिंदुओं में अजीबोगरीब धारणाएं, मान्यताएं और अंधविश्वास प्रचलित है।

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हिंदुओं में शुभ-अशुभ दोनों माने जाते हैं

जी हां, यहां बात कर रहे हैं उल्लू की। उल्लू को हिंदुओं में शुभ और अशुभ दोनों ही प्रकार से देखा जाता है। जो लोग इसे अशुभ मानते हैं वह इस पक्षी को नापसंद करते हैं और इसे देखना भी नहीं पसंद करते। लेकिन जो लोग इसे शुभ मानते हैं वह उल्लू के चित्र, सिंबल और मूर्तियों को अपने साथ रखते हैं। वैसे भारतीय समाज में ‘उल्लू’कह कर यदि किसी को संबोधित किया जाता है तो उसका अर्थ मूर्ख माना जाता है।

पश्चिम संस्कृति में इस पक्षी को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है

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सांस्कृतिक रूप से, उल्लू की छवि हर जगह नकारात्मक नहीं है। भारतीय पौराणिक कथाओं में, उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि उल्लू के प्रति हमारी धारणाएं क्षेत्रीय और सामाजिक मान्यताओं पर निर्भर करती हैं। पश्चिमी संस्कृतियों में, उल्लू को बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह रात में भी "देख" सकता है, जो समझदारी का प्रतीक है।

अनेक अनोखे गुण हैं इस पक्षी में

आधुनिक युग में, उल्लू को शोक पक्षी मानने की धारणा धीरे-धीरे कम हो रही है। पर्यावरणविद् और शिक्षित लोग उल्लू के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। यह समझना जरूरी है कि उल्लू न तो शोक का प्रतीक है और न ही अशुभ। यह प्रकृति का एक हिस्सा है, जो अपने अनोखे गुणों के साथ जीव जगत को समृद्ध करता है। हमें अंधविश्वासों को त्यागकर उल्लू जैसे जीवों की सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करना चाहिए।

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क्या है कथा जानें

बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के सभी देवी- देवताओं ने, पशु- पक्षियों को अपने वाहन या सवारी के रूप में चुना हैं, जिनमें से कई देवताओं के वाहनों की स्वयं स्वतंत्र देवता के रूप में भी पूजा होती है। जैसे कि भगवान शिव के वाहन नंदी बैल तथा भगवान विष्णु के वाहन गरूण स्वयं भी पूजनीय हैं। सभी देवी-देवताओं ने अपनी आवश्यकता और इच्छा के अनुरूप अपना वाहन चुना है। ऐसे ही माता लक्ष्मी के अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुनने की कथा बहुत रोचक है। मालूम हो कि प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे। तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती लोक आईं। लक्ष्मी मां को देख कर सभी पशु-पक्षी में उनका वाहन बनने की होड़ लगाने लगी।तब माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन चुना

उल्लू का लेकर समाज में क्या-क्या अंधविश्वास

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उल्लू एक ऐसा पक्षी है जो अपनी रहस्यमयी प्रकृति और रात्रिचर जीवनशैली के कारण विश्व भर की संस्कृतियों में चर्चा का विषय रहा है। भारतीय संस्कृति में उल्लू को अक्सर शोक पक्षी या अशुभता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन क्या यह धारणा सत्य है, या मात्र अंधविश्वास? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें उल्लू के व्यवहार, इसकी सांस्कृतिक छवि और वैज्ञानिक तथ्यों को समझना होगा।

रात्रि में इसकी आवाज रहस्यमय 

उल्लू को शोक पक्षी कहे जाने का प्रमुख कारण इसकी रात्रि में सक्रियता और इसकी अनोखी आवाज है। उल्लू रात में शिकार करता है और उसकी "हू-हू" जैसी आवाज अंधेरे में भयावह या रहस्यमय लग सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां रात का सन्नाटा प्रबल होता है, यह आवाज लोगों में डर या अशुभता का भाव जगा सकती है। भारतीय लोककथाओं और मान्यताओं में, उल्लू की आवाज को मृत्यु या दुर्भाग्य से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, कुछ समुदायों में यह माना जाता है कि यदि उल्लू किसी के घर के पास रात में बोले, तो वहां कोई अशुभ घटना हो सकती है। यह धारणा शायद इसलिए पनपी क्योंकि रात को उल्लू की उपस्थिति और उसकी आवाज अप्रत्याशित और रहस्यमयी लगती थी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण में अत्यंत उपयोगी पक्षी

हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उल्लू को शोक पक्षी कहना पूरी तरह आधारहीन है। उल्लू एक अत्यंत उपयोगी पक्षी है जो पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह चूहों, कीड़ों और छोटे जीवों का शिकार करके फसलों को नुकसान से बचाता है। इसकी विशेष शारीरिक संरचना, जैसे कि तेज दृष्टि, संवेदनशील श्रवण शक्ति और नीरव उड़ान, इसे एक कुशल शिकारी बनाती है। उल्लू की प्रजातियां, जैसे बार्न उल्लू या भारतीय स्कॉप्स उल्लू, भारत में व्यापक रूप से पाई जाती हैं और ये पर्यावरण के संतुलन में योगदान देती हैं।

 

 

 

 

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