Advertisment

Masik Shivratri 2025: जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए इस दिन करें भगवान शिव की पूजा

Masik Shivratri मासिक शिवरात्रि  हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, जो विशेष रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होती है।

author-image
Mukesh Pandit
मा्सिक शिवरात्रि
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मासिक शिवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान शिव को समर्पित है और इसे मनाने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। 2025 में आने वाली मासिक शिवरात्रि की लिस्ट में श्रावण शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, और अन्य शामिल हैं। इन त्यौहारों का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। इन त्यौहारों के दौरान, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। मासिक शिवरात्रि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता है और हमें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करता है। 

Advertisment

क्या है और व्रत के लाभ 

शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अद्भुत संगम का प्रतीक पर्व है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। हर महीने, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। यह पर्व भक्तों को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने और क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान, तथा लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं को समाप्त करने का मार्ग दिखाता है। साल में महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख पर्व मानी जाती है, लेकिन हर महीने की शिवरात्रि भक्तों के लिए विशेष होती है।

अमांत पंचांग के अनुसार, माघ महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जबकि पूर्णिमांत पंचांग में इसे फाल्गुन में मनाने की परंपरा है। शिवभक्त पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ हर महीने मासिक शिवरात्रि का पालन करते हैं, जिससे यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि शिव भक्ति का एक निरंतर उत्सव बन जाता है।

Advertisment

मासिक शिवरात्रि  

मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) एक पवित्र पर्व है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना के प्रति समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत, शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन शिव परिवार के समस्त देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।

मासिक शिवरात्रि को शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक माना गया है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वरदान देता है। इस व्रत के पालन से न केवल दुखों और बाधाओं का निवारण होता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य और भक्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मासिक शिवरात्रि का यह पर्व भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करता है, जिससे वे शिव की कृपा से अपने जीवन को उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं।

Advertisment

पूजा की विधि

मासिक शिवरात्रि की पूजा सूर्यास्त के बाद निशिता काल में शुरू होती है। सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग की स्थापना करें। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।

बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, और सफेद फूल अर्पित करें, क्योंकि ये शिव को अति प्रिय हैं। 
इसके बाद शिव मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जाप करें। दीपक और धूप जलाएं, और शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। पूजा के अंत में शिव आरती करें और प्रसाद बांटें। उपवास रखने वाले भक्त रात में फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। पूजा में मन की शुद्धता और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।

Advertisment

शिव पूजा से पापों का नाश 

मासिक शिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि इस दिन शिव पूजा से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह तिथि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। यह मन को शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करती है। कुंवारी कन्याएं इस दिन अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं। यह दिन ध्यान, जप और तप के लिए भी विशेष माना जाता है।

Advertisment
Advertisment