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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कई विदेशी विश्वविद्यालय अब देश में अपने कैंपस शुरू करने की तैयारी में हैं। अगले साल तक भारत में सबसे अधिक ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज के कैंपस शुरु हो जाएंगे। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा क्षेत्र में हुए अहम समझौतों के चलते यह साझेदारी और मजबूत हुई है।
ऑस्ट्रेलिया 8 यूनिवर्सिटीज को मिली मंजूरी
29 जुलाई 2025 तक, ऑस्ट्रेलिया की 8 यूनिवर्सिटीज को भारत में कैंपस खोलने की मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से दो यूनिवर्सिटी Deakin University और University of Wollongong पहले ही गुजरात की GIFT City में अपना कैंपस शुरू कर चुकी हैं। बाकी यूनिवर्सिटीज में Victoria University गुरुग्राम, Western Sydney University ग्रेटर नोएडा, Western Australia University मुंबई और चेन्नई, La Trobe University बेंगलुरु और University of New South Wales का कैंपस भी बेंगलुरु में स्थापित किया जा रहा है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी की भी एंट्री
ब्रिटेन (यूके) भी इस रेस में पीछे नहीं है। अब तक ब्रिटेन की 5 यूनिवर्सिटीज को भारत सरकार और यूजीसी (UGC) से हरी झंडी मिल चुकी है। University of Southampton ने गुरुग्राम में पहले से अपना कैंपस शुरू कर दिया है और पढ़ाई चालू हो चुकी है। बाकी चार यूनिवर्सिटीज University of Liverpool, University of Aberdeen, University of York और University of Bristol अगले एक-दो वर्षों में भारत में अपने कैंपस शुरू करेंगी।
इन देशों को भी मिली मंजूरी
University of Liverpool का कैंपस बेंगलुरु में अगस्त 2026 से शैक्षणिक सत्र शुरू करेगा, जबकि Aberdeen, York और Bristol के कैंपस मुंबई में खोले जाएंगे। इससे मुंबई देश का ऐसा शहर बन जाएगा जहां सबसे अधिक, यानी 6 विदेशी यूनिवर्सिटी कैंपस मौजूद होंगे। इसके अलावा, अमेरिका और इटली की एक-एक यूनिवर्सिटी को भी भारत में कैंपस खोलने की मंजूरी मिल चुकी है, जो आगामी शैक्षणिक सत्र से शुरू होंगे।
नई शिक्षा नीति से मिला फायदा
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और यूजीसी के संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब शीर्ष अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को भारत में पूरी आजादी के साथ कैंपस स्थापित करने की अनुमति है। ये विश्वविद्यालय न केवल स्वतंत्र पाठ्यक्रम संचालित करेंगे, बल्कि अपनी मूल यूनिवर्सिटी की डिग्री भी भारत में पढ़ने वाले छात्रों को प्रदान करेंगे।