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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। नीट-पीजी परीक्षा की जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर कई याचिकाएं दायर हुई हैं। इन याचिकाओं में मुख्य रूप से परीक्षा के आंसर की जारी करने और मूल्यांकन के तरीके को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में 3 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया शामिल हैं, ने इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की है। इससे पहले इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई भी हो चुकी है।
छात्रों को अपनी कॉपी देखने का मौका मिला
इन याचिकाओं में यह बताया गया है कि नीट-पीजी की मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं है। वकील तन्वी दुबे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई), जो इस परीक्षा का आयोजन करता है, उसे जवाबदेह बनाकर कई निर्देश दिए जाएं। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि परीक्षा के बाद सभी छात्रों को प्रश्न पत्र और उत्तर कुंजी उपलब्ध कराई जाए। इससे छात्र जान सकेंगे कि उनके सही और गलत जवाब कौन-कौन से थे। इसके साथ ही यदि किसी छात्र को अपने अंक में कोई गलती लगती है या प्रश्नों को लेकर विवाद होता है, तो उन्हें पुनर्मूल्यांकन या पुनः जांच कराने का अधिकार मिले।
छात्रों को चुनौती देने का अधिकार मिले
याचिका में यह भी कहा गया है कि छात्रों को विवादित प्रश्नों या उत्तरों को चुनौती देने की अनुमति दी जाए। इससे भविष्य में नीट-पीजी परीक्षा का मूल्यांकन अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत हो सकेगा। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता न होने से परीक्षा की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। साथ ही इससे छात्रों के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इसे सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की गई है ताकि नीट-पीजी परीक्षा में न्यायपूर्ण और साफ-सुथरी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
इस मामले में 3 अगस्त को सुनवाई के बाद ही आगे का रास्ता साफ होगा कि राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और संबंधित प्राधिकरणों को क्या कदम उठाने होंगे। छात्रों और उनके हितों की सुरक्षा के लिए इस सुनवाई को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।