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NEP 2020 से कितना बदलेगा भारत का एजुकेशन सिस्‍टम? 5+3+3+4 मॉडल से कितना आया फर्क?

NEP 2020 ने भारत की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है। इसमें 5+3+3+4 मॉडल, कक्षा 6 से स्किल शिक्षा, मल्टीपल एग्जिट विकल्प, डिजिटल लर्निंग, और इंटरडिसिप्लिनरी विषय शामिल हैं।

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Suraj Kumar
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क।राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू हुए 5 साल हो चुके हैं। यह नीति भारत की शिक्षा व्यवस्था में अब तक का सबसे बड़ा सुधार मानी जाती है। इसका मकसद पारंपरिक रटने वाली पढ़ाई से हटकर स्किल-बेस्ड, फ्लेक्सिबल और समावेशी शिक्षा व्यवस्था को अपनाना है। इसका फोकस छात्रों की आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और टेक्नोलॉजी बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा देना है, जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर लाया जा सके।

नया मॉडल: 5+3+3+4 मॉडल

NEP 2020 ने 34 साल पुरानी शिक्षा नीति (1986) को बदलकर नया 5+3+3+4 ढांचा लागू किया है। इसमें चार चरण शामिल हैं:

फाउंडेशन लेवल (5 साल): 3 साल प्री-स्कूल + कक्षा 1 और 2

प्रिपरेटरी लेवल (3 साल): कक्षा 3 से 5 तक

मिडल लेवल (3 साल): कक्षा 6 से 8 तक

सेकेंडरी लेवल (4 साल): कक्षा 9 से 12 तक

यह ढांचा बच्चों के संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिससे शुरुआत से ही उनकी नींव मजबूत हो।

स्किल डिवेलपमेंट और व्यावसायिक शिक्षा

NEP 2020 के तहत कक्षा 6 से स्किल एजुकेशन की शुरुआत होती है। साथ ही छात्रों को इंटर्नशिप भी करनी होगी। इसमें कोडिंग, बढ़ईगिरी, बागवानी, डिजिटल साक्षरता जैसी स्किल्स शामिल हैं, जिससे वे वास्तविक जीवन के लिए बेहतर तैयारी कर सकें। ग्रेजुएशन में अब छात्रों को मल्टीपल एग्जिट ऑप्शन दिए गए हैं—1 साल में सर्टिफिकेट, 2 साल में डिप्लोमा, और 3-4 साल में डिग्री। साथ ही अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की मदद से छात्र अपनी पढ़ाई बीच में रोककर बाद में फिर से शुरू कर सकते हैं।

इंटरडिसिप्लिनरी और डिजिटल एजुकेशन

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अब छात्र विषयों को अपनी पसंद से चुन सकते हैं-जैसे म्यूजिक के साथ फिजिक्स या अर्थशास्त्र। डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए ई-कंटेंट, ऑनलाइन लर्निंग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है, ताकि शिक्षा सभी तक पहुंच सके। पीएम ई-विद्या और दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म्स से लाखों शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। हालांकि, NEP की सफलता सही क्रियान्वयन पर निर्भर है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। करिकुलम, शिक्षक ट्रेनिंग और आधारभूत संरचना पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

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