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UG Admissions 2025: बीए के छात्रों को भी पढ़ने होंगे साइंस-काॅमर्स के सब्जेक्ट, यूनिवर्सिटी ने लागू किया नया नियम

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (DSMNRU), उत्तर प्रदेश ने अपने यूजी पाठ्यक्रमों में बड़ा बदलाव किया है। अब बीए, बीएससी और बीकॉम के छात्रों को अपनी स्ट्रीम के अलावा अन्य विषय भी पढ़ने होंगे।

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Suraj Kumar
UG Students
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लखननऊ, वाईबीएन डेस्‍क। उत्तर प्रदेश की डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (DSMNRU) ने इस शैक्षणिक सत्र से अपने यूजी कोर्स में बड़ा बदलाव किया है। अब बीए, बीएससी और बीकॉम करने वाले सभी छात्रों को अपनी स्ट्रीम के साथ-साथ दूसरे स्ट्रीम के विषय भी पढ़ने होंगे। विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने इस नए नियम पर मुहर लगा दी है। इसका मकसद छात्रों को बहुविषयक शिक्षा से जोड़ना है ताकि वे अलग-अलग फील्ड की जानकारी हासिल कर सकें।

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नए नियमों के तहत क्या बदला?

DSMNRU के स्नातक पाठ्यक्रम अब 20 क्रेडिट के होंगे। इनमें से 12 क्रेडिट कोर सब्जेक्ट के होंगे, जबकि बाकी 8 क्रेडिट वैल्यू ऐडेड और मल्टी-डिसिप्लिनरी कोर्स से मिलेंगे।

पहला सेमेस्टर: छात्रों को 3 क्रेडिट का वैल्यू ऐडेड कोर्स पढ़ना होगा। इसमें पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन या सतत विकास जैसे विषय शामिल किए गए हैं।

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दूसरा सेमेस्टर: योग शिक्षा, खेल शिक्षा, डिजिटल सॉल्यूशन या भारतीय संविधान में से एक विषय पढ़ना अनिवार्य होगा।

तीन मल्टी-डिसिप्लिनरी कोर्स: नेचुरल एंड फिजिकल साइंस, गणित-सांख्यिकी-कंप्यूटर एप्लीकेशन, ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस, कॉमर्स एंड मैनेजमेंट या मीडिया साइंस में से किसी तीन विषयों को फर्स्ट, सेकंड और थर्ड सेमेस्टर में पढ़ना होगा।

CUET नहीं, MPO कोर्स में मेरिट से मिलेगा दाखिला

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DSMNRU के अधिकतर पाठ्यक्रमों में इस साल से CUET के जरिए दाखिला होगा। हालांकि MPO (मास्टर प्रोफेशनल ऑफिजर्स) पाठ्यक्रम में यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर दाखिले करेगी। इसमें अभ्यर्थियों की मेरिट उनके पिछली योग्यता परीक्षा के अंकों के आधार पर बनेगी।

पीएचडी कोर्स में भी बदलाव

विश्वविद्यालय ने दिव्यांग शिक्षा से जुड़े चार विभागों को मिलाकर ‘विशेष शिक्षा विभाग’ बना दिया है। इसके साथ ही पीएचडी के नॉमेनक्लेचर में भी बदलाव हुआ है। अब यहां से पीएचडी करने वालों को ‘PhD in Education’ या ‘PhD in Special Education’ की डिग्री दी जाएगी। पहले यह डिग्री अलग-अलग दिव्यांगता के आधार पर दी जाती थी।

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